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सावधान! बरसात में भारी गुजरते हैं शाम के ढाई घंटे, अधिक होते हैं गुलदारों के हमले

गुलदारों के खौफ से थर्रा रहे उत्तराखंड में गर्मियों और बरसात में शाम के ढाई घंटे भारी गुजरते हैं। प्रसिद्ध शिकारी लखपत सिंह रावत के अध्ययन में बात सामने आई है कि इस दौरान शाम छह से साढ़े आठ बजे के बीच गुलदारों के 80 फीसद हमले होते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 06:05 AM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 06:05 AM (IST)
सावधान! बरसात में भारी गुजरते हैं शाम के ढाई घंटे, अधिक होते हैं गुलदारों के हमले
शिकारी लखपत के अध्ययन में बात सामने आई है कि शाम के समय गुलदारों के 80 फीसद हमले होते हैं।

केदार दत्त, देहरादून। गुलदारों के खौफ से थर्रा रहे उत्तराखंड में गर्मियों और बरसात में शाम के ढाई घंटे भारी गुजरते हैं। प्रसिद्ध शिकारी लखपत सिंह रावत के अध्ययन में बात सामने आई है कि इस दौरान शाम छह से साढ़े आठ बजे के बीच गुलदारों के 80 फीसद हमले होते हैं। अध्ययन के मुताबिक बरसात में गांव-घरों के नजदीक ककड़ी, तोरी आदि की बेल के झुरमुट और मक्का की फसल होने से गुलदार को छिपने की जगह मिल जाता है। फिर शाम के वक्त व्यक्तियों का मूवमेंट भी ज्यादा होता है और घरों में बच्चे अमूमन अकेले रहते हैं। ऐसे में मौका पाते ही गुलदार हमले करते हैं।

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सावधानी बरतना बेहद जरूरी

उत्तराखंड में 55 आदमखोर गुलदारों को ढेर कर चुके शिकारी लखपत बताते हैं कि गुलदार के बढ़ते हमलों को देखते हुए सावधानी बरतना बेहद जरूरी है। वह सुझाव देते हैं कि घरों के नजदीक बेल उगाने व मक्का बोने से परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही घरों के पास लाइट की उचित व्यवस्था हो और गांव के रास्ते पर पड़ने वाले पहले व आखिरी घर को अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खेतों में कार्य करते वक्त निगरानी की व्यवस्था होने पर गुलदार के हमलों से बचा जा सकता है। इसके अलावा घरों में एक नहीं जोड़े में कुत्ते पाले जाने चाहिए, दो कुत्ते होने पर गुलदार जल्दी से हमला नहीं करता।

समूह में रहने लगे हैं गुलदार

शिकारी लखपत बताते हैं कि गुलदारों के व्यवहार में लगातार बदलाव दिख रहा है। अमूमन माना जाता है कि गुलदार अकेला रहता है, लेकिन ओखलकांडा, बागेश्वर, हरिद्वार समेत अन्य स्थानों पर इन्हें समूह में देखा गया है। उन्होंने कहा कि गुलदार के व्यवहार को लेकर गहन अध्ययन की दरकार है, ताकि समस्या से निबटने को ठोस कदम उठाए जा सकें।

सात माह में गुलदारों ने ली 17 की जान

राज्य में गुलदार-मानव संघर्ष किस कदर चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुका है, इस वर्ष के अब तक के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। जनवरी से अब तक वन्यजीवों के हमलों में 28 व्यक्तियों की जान गई, जिनमें 17 की मौत की वजह गुलदार बने। यही नहीं, 24 व्यक्ति गुलदार के हमलों में घायल हुए हैं।

आरआरटी-क्यूआरटी की तैनाती

गुलदारों के बढ़ते हमलों को देखते हुए वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) राजीव भरतरी ने सभी डीएफओ व निदेशकों को गुलदार की सक्रियता वाले क्षेत्रों में जनसुरक्षा के मद्देनजर आरआरटी (रैपिड रिस्पांस टीम) व क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) की तैनाती के निर्देश दिए हैं। उन्होंने गुलदार के हमले की सूचना 12 घंटे के भीतर उन समेत पांच अधिकारियों को देने, पीड़ि‍त परिवार को सांत्वना देने को जिम्मेदार अधिकारी भेजने, अनुग्रह व राहत राशि का तत्काल भुगतान करने संबंधी निर्देश भी अधिकारियों को दिए हैं।

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