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'हर घर को नल से जल' को 6600 करोड़ रुपये की है दरकार

हर घर को नल से जल को उत्तराखंड में धरातल पर उतारने के लिए 6600 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसे देखते हुए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए हैं।

By Edited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 07:50 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 08:24 PM (IST)
'हर घर को नल से जल' को 6600 करोड़ रुपये की है दरकार
'हर घर को नल से जल' को 6600 करोड़ रुपये की है दरकार

देहरादून, राज्य ब्यूरो। केंद्र सरकार की मुहिम 'हर घर को नल से जल' को उत्तराखंड में धरातल पर उतारने के लिए 6600 करोड़ रुपये की जरूरत है। इसे देखते हुए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए सरकार ने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए हैं। एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआइआइबी), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (एआइआइबी) समेत अन्य संस्थानों में दस्तक दी गई है। वित्तीय संस्थानों की ओर से भूमि अधिग्रहण अन्य मसलों का पहले निदान कराने को कहे जाने के मद्देनजर प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। अब इंतजार है तो 'जल जीवन मिशन' के लिए केंद्र की गाइडलाइन का। फिर इसके अनुरूप सरकार आगे बढ़ेगी।

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शहरी और मैदानी क्षेत्रों में तो लगभग सभी घरों में पेयजल कनेक्शनों के जरिए पानी मुहैया कराया जा रहा, मगर पर्वतीय क्षेत्रों में स्थिति भिन्न है और वहां गांवों में लोग स्टैंडपोस्ट से पानी जुटाते हैं। असल में पहाड़ के गांवों में पेयजल योजना बनने के बाद सार्वजनिक स्टैंडपोस्ट दिए जाते हैं। इन्हीं से लोग पानी भरते हैं। अब केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल मुहैया कराने का निश्चय किया है। राज्य सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। 

राज्य में ऐसे घरों की संख्या 12.5 लाख से अधिक है, जिनके पास पेयजल कनेक्शन नहीं हैं। यही नहीं, कई गांवों में वर्षों पहले बनी पेयजल योजनाएं या तो बंद पड़ी हैं या फिर आपदा समेत अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त हैं। यही नहीं, ग्राम पंचायतों के स्वामित्व वाली योजनाओं के रखरखाव को बजट सबसे बड़ा रोड़ा है। ऐसे में हर घर को पुरानी योजनाओं की मरम्मत और नई पेयजल योजनाओं के जरिए पेयजल कनेक्शन मुहैया कराए जाने हैं। जाहिर है कि इस कार्य के लिए भारी भरकम बजट की जरूरत है। इसे देखते हुए वित्तीय संसाधन जुटाने की कवायद शुरू की गई है। सचिव पेयजल अरविंद ह्यांकी के मुताबिक हर घर को नल से जल मुहिम के लिए 6600 करोड़ रुपये की जरूरत है। यह पैसा बाह्य सहायतित योजनाओं से जुटाने का निश्चय किया गया है। 

इस कड़ी में एआइआइबी, नाबार्ड समेत अन्य वित्तीय संस्थानों से संपर्क साधा गया है। सचिव पेयजल ह्यांकी के अनुसार कुछ वित्तीय संस्थानों ने पेयजल योजनाओं के मद्देनजर पर्यावरणीय कारणों, भूमि अधिग्रहण जैसे बिंदुओं का पहले निबटारा करने को कहा है। इसे देखते हुए महकमे के अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। कुछ जिलों में प्रस्ताव तैयार होने लगे हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही सर्वे और भूमि अधिग्रहण के लिए राशि जारी की जाएगी। अब केंद्र सरकार की ओर से जल जीवन मिशन के लिए जारी होने वाली गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। फिर इसके हिसाब से कदम उठाए जाएंगे।

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गांवों में भी हर कनेक्शन पर मीटर 

सचिव पेयजल ने बताया कि शहरी क्षेत्रों की भांति ग्रामीण इलाकों में भी हर घर को नल से जोड़ने पर प्रत्येक कनेक्शन पर मीटरिंग की जाएगी। यानी, लोग जितना पानी खर्च करेंगे, उसी के हिसाब से बिल भी लिया जाएगा। इससे लोग पानी की किफायत को समझेंगे। 55 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन पानी प्रत्येक घर के पेयजल कनेक्शन से जुड़ने के बाद प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति 55 लीटर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों की हर योजना में यह प्रावधान सुनिश्चित किया जाएगा। 

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