56 नहरें खस्ताहाल, विभाग लापरवाह
संवाद सूत्र, चकराता: क्षेत्र में खेती को हरा भरा रखने के लिए ¨सचाई व लघु ¨सचाई विभाग हर सा
संवाद सूत्र, चकराता: क्षेत्र में खेती को हरा भरा रखने के लिए ¨सचाई व लघु ¨सचाई विभाग हर साल नहरों का जाल तो बिछा रहे हैं, लेकिन रखरखाव की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। जिस कारण जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर की 56 नहरों का अस्तित्व खतरे में है। आपदा से क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत न होने से कृषि भूमि बंजर होने लगी है। ¨सचाई खंड अंबाड़ी के अधिकारी इसका कारण बजट का मिलना बता रहे हैं।
चकराता ब्लॉक की अगर बात करें तो यहां ¨सचाई खंड अंबाडी की 25 नहरें ऐसी हैं, जो आपदा में टूट गई। अधिकारियों ने समस्या बताने के बाद भी नहरों की मरम्मत नहीं कराई, जिससे किसानों की हजारों बीघा कृषि भूमि बंजर होने की कगार है। वहीं कालसी ब्लॉक में भी 31 नहरों की हालत बेहद जर्जर बनी है। किसान भगत ¨सह, जालम ¨सह, रूपराम, सियाराम, मेहर ¨सह आदि का कहना है कि कई साल से नहरों की हालत बेहद खराब होने के साथ ही चार साल से भारी आपदा के तहत क्षतिग्रस्त नहरों की सुध नहीं ली गई है। जिससे किसानों की खेत क्यारी बंजर होने के साथ नगदी फसलें भी बर्बाद हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि नहरों में पानी न चलने से धान की रोपाई प्रभावित हुई है, और वे बारिश का इंतजार कर रहे हैं। उधर, ¨सचाई खंड अंबाडी के अधिशासी अभियंता पीएन राय के अनुसार क्षतिग्रस्त नहरों के जीर्णोद्धार के लिए पूर्व में ही स्टीमेट बनाकर शासन को भेजे जा चुके हैं, जिसमें से मात्र सात नहरों की मरम्मत के लिए धनराशि मिली है।
-------------------------
ये नहरें हैं खस्ताहाल
चकराता ब्लॉक की बंगोती-टुंगरोली, खेडा-कैत्री, सावडा नहर, कपना, खेडा, नयनोड, खरकोटा, अमतियार, बोग, मिडाल, कंदाड, कोटूवा, मरासा, खाती, कचटा, सरना, पुडिया, गुठाड, कांडोई, लाखामंडल, जंद्रोह, नाडा, सिडिया, गडसार, मोठी, रिउसना, राठू, कोटियासेर नहर की हालत बेहद खस्ता है।