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498 प्लाट धारकों को मिलेगा लाभ, पौने सात लाख वर्गमीटर भूमि होगी फ्रीहोल्ड

वर्ष 2009 में लाई गई नजूल नीति और फिर इसके संशोधित स्वरूप को जुलाई 2020 में हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। तब तक प्रदेशभर में 35 हजार से अधिक व्यक्तियों ने अपनी भूमि को फ्रीहोल्ड कराने की औपचारिकता पूरी कर ली थी।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 26 Sep 2021 02:05 PM (IST)Updated: Sun, 26 Sep 2021 02:05 PM (IST)
498 प्लाट धारकों को मिलेगा लाभ, पौने सात लाख वर्गमीटर भूमि होगी फ्रीहोल्ड
नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने की अब तक की राह आसान नहीं रही है

जागरण संवाददाता, देहरादून: नजूल भूमि पर विधिक व अवैध रूप से काबिज व्यक्तियों को राहत देने के लिए सरकार ने उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण अध्यादेश 2021 के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। दून की बात करें तो इसका फायदा नजूल के 498 प्लाट धारकों को मिलेगा और कुल छह लाख 74 हजार 567 वर्गमीटर भूमि को फ्रीहोल्ड कराया जा सकेगा।

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हालांकि, नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने की अब तक की राह आसान नहीं रही है, क्योंकि वर्ष 2009 में लाई गई नजूल नीति और फिर इसके संशोधित स्वरूप को जुलाई 2020 में हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। तब तक प्रदेशभर में 35 हजार से अधिक व्यक्तियों ने अपनी भूमि को फ्रीहोल्ड कराने की औपचारिकता पूरी कर ली थी। अक्टूबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट से स्टे के रूप में फौरी राहत मिली। मगर, मामले में पेच फंसा रहा। वह इसलिए कि विधिक के अलावा अवैध रूप से काबिज व्यक्तियों को लेकर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी। अब इतना जरूर है कि नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड कराने को लेकर पूर्व की तमाम कसरत और कोर्ट के रुख को देखते हुए सरकार अध्यादेश की तरफ कदम बढ़ा चुकी है। लिहाजा, देर-सबेर नजूल भूमि पर किसी भी रूप में काबिज व्यक्तियों को राहत की उम्मीद जरूर बढ़ गई है।

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फ्रीहोल्ड पर इस तरह होती रही कसरत

  • उत्तराखंड सरकार ने नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने के लिए वर्ष 2009 में नीति जारी की थी।
  • चार मार्च 2014 व 15 जनवरी 2015 को इसमें आवश्यक संशोधन भी किए गए
  • इसके साथ ही आवास एवं शहरी नियोजन विभाग उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति (प्रबंधन एवं निस्तारण) अधिनियम 2020/2021 पर काम कर रहा था।
  • अब इस दिशा में अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है
  • 2009 से पहले 20 हजार एकड़ भूमि की फ्रीहोल्ड।
  • वर्ष 2009 की नीति को निरस्त करने से पहले पूर्व के नियमों के मुताबिक सरकार प्रदेशभर में करीब 20 हजार एकड़ भूमि को कब्जेदारों के हक में फ्रीहोल्ड कर चुकी थी।

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