उत्तराखंड: 4400 आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं पेयजल सुविधा, मंत्री ने दिए जल्द मुहैया कराने के निर्देश
आंगनबाड़ी केंद्रों में से 4400 में पेयजल और 4980 में शौचालय सुविधा नहीं है। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने इन आंगनबाड़ी केंद्रों में जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन के तहत ये सुविधाएं जल्द मुहैया कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश के 20017 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 4400 में पेयजल और 4980 में शौचालय सुविधा नहीं है। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने शुक्रवार को विधानसभा में हुई विभागीय समीक्षा बैठक में इन आंगनबाड़ी केंद्रों में जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन के तहत ये सुविधाएं जल्द मुहैया कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने 1608 आंगनबाड़ी केंद्रों के भवनों के लिए वर्ष 2019-20 में अवमुक्त धनराशि का तेजी से उपयोग करने के निर्देश भी दिए।
समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों ने विभागीय मंत्री को अवगत कराया कि वर्तमान में 3470 आंगनबाड़ी केंद्र अपने भवनों में संचालित हो रहे हैं। 130 केंद्रों के लिए डेढ़ लाख रुपये प्रति भवन के हिसाब से धन जारी किया गया है। यह भी जानकारी दी गई कि नंदा गौरा योजना के तहत राज्य में 23182 बालिकाओं को सात चरणों और 20901 बालिकाओं को दो चरणों में लाभान्वित किया जा चुका है। इसमें अब तक 98.52 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं।
विभागीय मंत्री आर्य ने वन स्टाप सेंटर में एकल खिड़की प्रणाली के तहत उपलब्ध सुविधाओं, निर्भया फंड, कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास, महिला शक्ति केंद्र, महिला समेकित विकास योजना, सखी महिला ई-रिक्शा, तीलू रौतेली पुरस्कार, सेनेटरी नेपकिन योजना, पोषण अभियान, आंचल अमृत योजना समेत केंद्र पोषित योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने अगले वित्तीय वर्ष में शुरू की जाने वाली मुख्यमंत्री सौभाग्यवती योजना, मुख्यमंत्री महिला पोषण योजना, मुख्यमंत्री बाल संजीवनी योजना समेत किशोरियों के लिए प्रस्तावित योजनाओं के संबंध में भी चर्चा की।
उन्होंने राज्य में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने, ड्राप आउट बालिकाओं को फिर से स्कूल से जोड़ने, अनाथ बच्चों को सरकारी सेवाओं में पांच फीसद आरक्षण का लाभ दिलाने, नारी निकेतन व बाल सुधार गृहों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की मुहिम तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने कुपोषण से मुक्ति को चल रहे अभियान के लिए अधिकारियों की पीठ थपथपाई।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या मात्र दो हजार है, जबकि कुपोषित की संख्या 11 हजार रह गई है। उन्होंने मुख्यमंत्री की विभाग से संबंधित घोषणाओं को जल्द धरातल पर उतारने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया। साथ ही कार्य के प्रति लापरवाही बरतने वाले कार्मिकों को फटकार लगाते हुए कार्यशैली में सुधार लाने को कहा।
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