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उत्तराखंड में हो सकते हैं 37वें राष्ट्रीय खेल, राज्य सरकार ने ठोका दावा

राष्ट्रीय खेल कराने की तैयारियों में छत्तीसगढ़ पिछड़ा हुआ है। इसी का फायदा उठाते हुए खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने भारतीय ओलंपिक संघ के समक्ष 37वें राष्ट्रीय खेल कराने का दावा ठोका।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 09:19 AM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 09:19 AM (IST)
उत्तराखंड में हो सकते हैं 37वें राष्ट्रीय खेल, राज्य सरकार ने ठोका दावा
उत्तराखंड में हो सकते हैं 37वें राष्ट्रीय खेल, राज्य सरकार ने ठोका दावा

देहरादून, निशांत चौधरी। अगर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ सरकार थोड़ा जोर लगाए तो अगले वर्ष 37वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखंड में संभव है। वैसे तो उत्तराखंड में 38वें राष्ट्रीय खेल होने हैं और 37वें राष्ट्रीय खेल छत्तीसगढ़ में प्रस्तावित हैं। वहीं, राष्ट्रीय खेल कराने की तैयारियों में छत्तीसगढ़ बहुत पिछड़ा हुआ है। इसी का फायदा उठाते हुए खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने भारतीय ओलंपिक संघ के समक्ष 37वें राष्ट्रीय खेल कराने का दावा ठोका है। 

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उत्तराखंड में राष्ट्रीय खेल सचिवालय, खेल गांव बनाने समेत अन्य तैयारियां तकरीबन पूरी हो गई हैं। तैयारियों के मुआयना को 11 फरवरी को आइओए की गेम्स टेक्निकल एंड कोऑर्डिनेशन कमेटी दून पहुंच रही है। अगर उन्हें हमारी तैयारी दुरुस्त नजर आई तो संभव है कि हमें 37वें राष्ट्रीय खेल कराने की स्वीकृति मिल जाए और 38वें राष्ट्रीय खेल छत्तीसगढ़ में हों। अगर ऐसा हुआ तो खेलों के साथ राज्य की पर्यटन व अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

सफलता को जुटाने होंगे उच्चस्तरीय संसाधन 

राष्ट्रीय खेलों के रूप में उत्तराखंड में बड़ा आयोजन होगा। इसके लिए उच्चस्तरीय संसाधन जुटाने होंगे। हालांकि, सरकार इस दिशा में गंभीरता से जुटी है, लेकिन संसाधन जुटाने व निर्माण में तेजी लानी होगी। राष्ट्रीय खेलों के तहत उत्तराखंड में 27 खेलों का आयोजन होना है। इसमें आधे से ज्यादा इंडोर खेल हैं। 

इन आयोजन के लिए करीब छह इंडोर हॉल की जरूरत होगी। वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, बैडमिंटन आदि खेलों के लिए अलग-अलग कोर्ट होने चाहिए। बैडमिंटन के लिए परेड ग्राउंड में बहुउद्देश्यीय हॉल तैयार किया जा  रहा है। वहीं, स्पोर्ट्स कॉलेज के इंडोर हॉल में वॉलीबॉल मुकाबले कराने की बात कही जा रही है। 

शूटिंग रेंज का निर्माण भी अधर पर है। वहीं, इंडोर हॉल के तौर पर आइस स्केटिंग ङ्क्षरक को लेने की बात गले नहीं उतर रही है। इसलिए अगर अभी से हमने इनका पुख्ता समाधान नहीं खोजा तो राष्ट्रीय खेलों के दौरान दिक्कतें भारी पड़ सकती हैं। 

राष्ट्रीय खेलों के लिए बजट अहम 

कोई भी आयोजन हो उसके लिए पुख्ता तैयारियों के साथ पैसे का इंतजाम भी जरूरी है। जब बात राष्ट्रीय खेलों की हो तो इसके सफल आयोजन के लिए बजट और भी अहम हो जाता है। प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय खेलों की अवस्थापना सुविधा विकास के लिए केंद्र सरकार से 682 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। 

इस प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री, खेल मंत्री सहित अन्य अधिकारी दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में राष्ट्रीय खेलों के लिए जुटाने वाले संस्थानों में खर्च होने वाली धनराशि का पूरा ब्योरा रखा जाएगा। 

इससे प्रस्तावित बजट बिना किसी कटौती के जल्द से जल्द स्वीकृत हो जाए। हालांकि, अभी केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात की तारीख तय नहीं हुई है। लेकिन, अगर केंद्र सरकार ने प्रस्तावित बजट में कटौती की तो राज्य सरकार का राष्ट्रीय खेलों को लेकर दावा अधर में भी फंस सकता है। 

इतनी भी क्या जल्दी थी भाई 

वर्षों की मेहनत के बाद किसी खिलाड़ी व प्रशिक्षक को जीवन में सम्मान का अवसर मिलता है। लेकिन, अगर ऐसे सम्मान समारोह को 10 मिनट में ही निपटा दिया जाए तो खिलाडिय़ों को पीड़ा होना स्वाभाविक ही है। ऐसा ही कुछ 29 जनवरी को आयोजित खेल पुरस्कार समारोह में देखने को मिला। इस समारोह में अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार को देव भूमि खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया। 

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पुरस्कार पाने के बाद मनोज सरकार ने कहा कि राज्य खेल पुरस्कार पाना एक बड़ी उपलब्धि है। यह हम जैसे खिलाडिय़ों के लिए खास दिन था, लेकिन 10 मिनट में ही समारोह निपट गया। जिससे निराशा हुई, ऐसा नहीं होना चाहिए था। अन्य लोगों ने भी समारोह की व्यवस्था पर सवाल उठाए। क्योंकि, पुरस्कार समारोह में बुलाए गए मेहमानों के बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां नहीं थीं। इससे नाराज होकर कुछ लोग बीच में ही समारोह से चले गए।

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