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35 किमी क्षेत्र में एक भी सुलभ शौचालय नहीं

संवाद सहयोगी विकासनगर टिहरी संसदीय सीट की सहसपुर व विकासनगर विधानसभाओं में हरबर्टपु

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 27 Mar 2019 03:00 AM (IST)
35 किमी क्षेत्र में एक भी सुलभ शौचालय नहीं
35 किमी क्षेत्र में एक भी सुलभ शौचालय नहीं

संवाद सहयोगी, विकासनगर: टिहरी संसदीय सीट की सहसपुर व विकासनगर विधानसभाओं में हरबर्टपुर से प्रेमनगर तक देहरादून पांवटा हाईवे पर करीब 35 किलोमीटर क्षेत्र में किसी भी कस्बे में एक भी सुलभ शौचालय नहीं है। सहसपुर में एक शौचालय बना है, लेकिन जर्जरहाल होने के कारण इसका फायदा नहीं मिल रहा, जिस वजह से बाजार में खरीददारी करने आने वाले विशेषकर महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ती है। इस समस्या की ओर अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान तक नहीं गया।

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जनसुविधा के नाम पर सहसपुर में बनाया गया सार्वजनिक शौचालय भवन देख रेख के अभाव में जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो गया है। प्रेमनगर से लेकर हरबर्टपुर तक लगभग 35 किलोमीटर के क्षेत्र में देहरादून पांवटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर कोई दूसरा शौचालय नहीं है। जबकि केंद्र सरकार के स्वच्छता मिशन के तहत हर कस्बे में एक सुलभ शौचालय होना जरूरी है। देहरादून पांवटा हाईवे पर हरबर्टपुर से प्रेमनगर के बीच बैरागीवाला, जस्सोवाला, खुशहालपुर, सहसपुर, रामपुर, चाणचक, सेलाकुई, झाझरा, सुद्धोवाला आदि कस्बे व गांव पड़ते हैं। औद्योगिक नगरी सेलाकुई में भारी संख्या में श्रमिक वर्ग काम करता है, ऐसे में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण जरूरत है। सहसपुर के बस अड्डे के समीप सन् 2012 में निर्मित सार्वजनिक शौचालय अब खंडहर हो चुका है जिससे सहसपुर के बाजार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र के ग्रामीणों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा शौचालय की यह स्थित देहरादून-पांवटा राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवाजाही करने वाले दूर-दराज के लोगों के लिए भी बड़ी समस्या है। सहसपुर के पूर्व ग्राम प्रधान सुंदर थापा का कहना है कि उनके ग्राम प्रधान रहने तक पंचायत स्तर से शौचालय में एक सफाई कर्मचारी की नियुक्ति भी की गई थी। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से देखरेख के अभाव में शौचालय भवन जर्जर हो गया है। सहसपुर बाजार में दुकानदार अमित कुमार, रामदयाल सिघल, डॉ. यासीन, डॉ. श्रीपदोदाम, विजय कुमार, संजय, राजेश, पंकज, अजय चौहान आदि का कहना है कि सरकार का नारा तो यही है कि खुले में शौच से भारत को मुक्त किया जाए लेकिन शौचालयों की व्यवस्था दूर-दूर तक नहीं है। उनका कहना है कि सरकारों को जनसुविधाओं के मामले में गंभीर रहना चाहिए।


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