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Indian Military Academy: भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्यधारा में शामिल हुए 31 कैडेट, सिपाही के रूप में सेना में भर्ती हुए इन युवाओं ने भरी तरक्की की उड़ान

Indian Military Academy भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) स्थित आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) के 116 वें दीक्षा समारोह में 31 कैडेट को जेएनयू की डिग्री से नवाजा गया। एसीसी में तीन साल के कड़े प्रशिक्षण और पढ़ाई के बाद ये कैडेट आइएमए की मुख्यधारा से जुड़ गए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 06:54 PM (IST)
Indian Military Academy: भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्यधारा में शामिल हुए 31 कैडेट, सिपाही के रूप में सेना में भर्ती हुए इन युवाओं ने भरी तरक्की की उड़ान
भारतीय सैन्य अकादमी स्थित एसीसी के 116वें दीक्षा समारोह में 31 कैडेट को जेएनयू की डिग्री से नवाजा गया।

जागरण संवाददाता, देहरादून: Indian Military Academy भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) स्थित आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) के 116वें दीक्षा समारोह में 31 कैडेट को जेएनयू की डिग्री से नवाजा गया। एसीसी में तीन साल के कड़े प्रशिक्षण और पढ़ाई के बाद ये कैडेट आइएमए की मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। अब एक साल के प्रशिक्षण के बाद ये सेना में बतौर अधिकारी शामिल हो जाएंगे।

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सिपाही के रूप में सेना में भर्ती हुए देशभर के 31 युवाओं ने शुक्रवार को तरक्की की उड़ान भरी। वर्षों से सेना में अफसर बनने का सपना संजोए कैडेट लगन और मेहनत के बूते नए मुकाम तक पहुंच गए हैं। आइएमए के खेत्रपाल सभागार में आयोजित दीक्षा समारोह में कमाडेंट हरिंदर सिंह ने इन कैडेटों को स्नातक की उपाधि व अवॉर्ड प्रदान किए। उपाधि पाने वालों में 11 विज्ञान और 20 कैडेट कला वर्ग में स्नातक बने।

कमांडेंट ने अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेटों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कैडेटों को याद दिलाया कि एसीसी ने देश को बड़ी संख्या में ऐसे जांबाज अफसर दिए हैं, जिन्होंने अपनी क्षमता के बलबूते कई पदक जीते। जिनमें न केवल आइएमए की प्रतिठति स्वार्ड ऑफ ऑनर बल्कि असाधारण साहस व बलिदान के लिए मिलने वाले परमवीर चक्र व अशोक चक्र जैसे वीरता पदक भी शामिल हैं। आर्मी कैडेट कॉलेज के कई कैडेट सेना में उच्च पदों पर आसीन हुए हैं। उन्होंने कहा कि उपाधि पाने वाले कैडेटों की जिंदगी का यह एक अहम पड़ाव है। कहा कि उनके सामने कई चुनौतियां होंगी, मगर देश की आन, बान और शान बनाए रखने की जिम्मेदारी अब उनके हाथों में होगी।

इस मौके पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेटों को बधाई देते कहा कि वह अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाए रखें। एसीसी विंग के कमांडर ब्रिगेडियर शैलेश सती ने कहा कि कैडेटों ने कोरोनाकाल की तमाम पाबंदियों व चुनौतियों के बावजूद अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। एसीसी के प्रधानाचार्य डॉ. नवीन कुमार ने कॉलेज की प्रगति रिपोर्ट पेश की।

इन्हें मिला पुरस्कार

  • चीफ आफ आर्मी स्टाफ मेडल
  • गोल्ड: अतिन थापा 
  • सिल्वर: सतबीर सिंह 
  • ब्रांज: साहिल ठाकुर 
  • कमान्डेंट बैनर: कारगिल कंपनी

कमान्डेंट सिल्वर मेडल

  • सर्विस: अनमोल गुरुंग
  • ह्यूमैनिटीज: अतुल प्रताप सिंह 
  • साइंस: साहिल वर्मा

आर्मी कैडेट कॉलेज का सफर

आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की नींव दि किचनर कॉलेज के रूप में वर्ष 1929 में तत्कालीन फील्ड मार्शल बिर्डवुड ने नौगांव (मध्य प्रदेश) में रखी। 16 मई 1960 में किचनर कॉलेज आर्मी कैडेट कॉलेज के रूप में कार्य करने लगा, जिसका शुभारंभ तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्णा व जनरल केएस थिमैया ने किया। यहां से कोर्स की पहला दीक्षा समारोह 10 फरवरी 1961 को हुआ। वर्ष 1977 में कॉलेज भारतीय सैन्य अकादमी से अटैच कर दिया गया। वर्ष 2006 में कॉलेज आइएमए का अभिन्न अंग बन गया। कॉलेज सैनिकों को अधिकारी बनने का मौका देता है। यहं से पास होकर कैडेट आइएमए में जेंटलमेन कैडेट के रूप में प्रशिक्षण लेकर सैन्य अफसर बनने की खूबियां अपने भीतर समाहित करते हैं।

आइएमए से विदा हुए तजाकिस्तान के कैडेट

आर्मी कैडेट कॉलेज के दीक्षा समारोह के साथ ही आइएमए में शुक्रवार को तजाकिस्तान के तीन कैडेटों की पीपिंग सेरेमनी भी आयोजित की गई। जिसमें कमाडेंट हरिंदर सिंह ने इन कैडेट के कंधों पर सितारे सजाए। तजाकिस्तान के ये कैडेट अब देश के अन्य सैन्य संस्थानों में एडवांस कोर्स करेंगे। बता दें, अकादमी में न केवल देश बल्कि विदेश के भी जेंटलमैन कैडेटों को प्रशिक्षण दिया जाता है। वर्तमान में यहां दो सौै से अधिक विदेशी कैडेट प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस पासिंग आउट परेड से पहले दो बार ऐसा हुआ है कि विदेशी कैडेटों की पीपिंग सेरेमनी पहले आयोजित कर दी गई। इससे पहले तीन वियतनामी कैडेट वतन लौट चुके हैं।

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