सूचना में 108 दिन का विलंब, 25 हजार जुर्माना
सूचना देने में विलंब के लिए सिर्फ लोक सूचनाधिकारी ही दंड के भागी नहीं होते हैं बल्कि वह कार्मिक भी जिम्मेदार माने जाते हैं जिन पर आवेदनों को उचित पटल पर पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: सूचना देने में विलंब के लिए सिर्फ लोक सूचनाधिकारी ही दंड के भागी नहीं होते हैं, बल्कि वह कार्मिक भी जिम्मेदार माने जाते हैं, जिन पर आवेदनों को उचित पटल पर पहुंचाने की जिम्मेदारी होती है। ऐसे ही एक मामले में राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने अल्मोड़ा की सोमेश्वर तहसील के मुहर्रिर ज्यूडीशियल विवेक कुमार पर 25 हजार रुपये का अधिकतम जुर्माना लगाया।
देहरादून के चुक्खुवाला निवासी अभिषेक रावत ने सोमेश्वर तहसील से विभिन्न बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। तय समय के भीतर सूचना न मिलने पर उन्होंने सूचना आयोग में अपील की। प्रकरण की सुनवाई में स्पष्ट हुआ कि अभिषेक रावत का आरटीआइ का आवेदन लोक सूचनाधिकारी कार्यालय में छह फरवरी को प्राप्त हुआ, उसे समय पर मुहर्रिर ज्यूडीशियल ने संबंधित पटल तक पहुंचाया ही नहीं। इसके बाद जब उन्होंने 20 मार्च 2018 को प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी के पास अपील की, तो भी समय पर पटल तक नहीं पहुंचाया गया। इसी के चलते सूचना निर्धारित 30 दिन के भीतर देने की जगह 108 दिन के विलंब से दी जा सकी। अपने बचाव में मोहर्रिर ज्यूडीशियल ने इस लापरवाही को स्वीकार करते हुए कहा कि वह अल्पवेतन वाले कार्मिक हैं और काम की अधिकता के चलते वह समय पर आवेदन पत्र व अपील को उचित पटल तक नहीं पहुंचा पाए। हालांकि, इसे वाजिब कारण न मानते हुए आयोग ने उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। तहसीलदार को निर्देशित किया गया कि वह मोहर्रिर ज्यूडीशियल के वेतन से जुर्माना की वसूली कर राजकोष में जमा कराना सुनिश्चित करें।