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24 हजार अवैध निर्माण, सभी के वैध की गारंटी नहीं

देहरादून में जिन क्षेत्रों में आवासीय ले आउट पास है। वहां व्यावसायिक निर्माण पर किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 18 Jan 2019 04:30 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2019 04:30 PM (IST)
24 हजार अवैध निर्माण, सभी के वैध की गारंटी नहीं
24 हजार अवैध निर्माण, सभी के वैध की गारंटी नहीं

सुमन सेमवाल, देहरादून। वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) स्कीम के तहत नक्शे जमा करने को लेकर दूनवासी बेताब नजर आ रहे हैं। वह जल्द से जल्द अपने अवैध निर्माण को वैध कराना चाहते हैं। हालांकि इसके नियमों को लेकर कई तरह की शंकाएं भी हैं, जिनके समाधान के लिए एमडीडीए ने गुरुवार को आर्किटेक्ट्स के लिए कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें एक बात निकलकर आई कि जिन क्षेत्रों में आवासीय ले-आउट पास है, वहां व्यावसायिक निर्माण पर किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। सिर्फ इतना जरूर है कि दून में कुल 32 हजार 700 अवैध निर्माण में से 73 फीसद निर्माण स्कीम के दायरे में आ गए हैं। 

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वर्तमान में सिंगल यूनिट वाले अवैध निर्माण की बात करें तो इनकी संख्या करीब 24 हजार है। ऐसे में इन भवनों के मालिक चाहेंगे कि उनके निर्माण वैध हो जाएं। जबकि ऐसा नहीं है, निर्धारित छूट के दायरे वाले भवनों को ही स्कीम के तहत कंपाउंड किया जा सकेगा। लिहाजा, अभी एमडीडीए अधिकारी भी यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि 24 हजार में से कितने भवनों को वैध किया जा सकेगा। केस दर केस यह स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। 

स्कीम के तहत न्यूनतम सड़क की चौड़ाई की बात करें तो यह छह मीटर है, मगर इसका मतलब यह नहीं है कि इतनी सड़क पर अवैध रूप से बनाए गए आवासीय या किसी दुकान के निर्माण को वैध कर दिया जाएगा। यहां अब भी सड़क की न्यूनतम चौड़ाई नौ मीटर ही मानी जाएगी। इसमें से जितनी सड़क कम पड़ेगी, उसकी भरपाई दोनों तरफ के निर्माणकर्ताओं को बराबर रूप से अपनी भूमि में से करनी पड़ेगी। कार्यशाला में सचिव पीसी दुम्का, संयुक्त सचिव शैलेंद्र सिंह नेगी, नगर नियोजक गीता खुल्बे, उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा आदि उपस्थित रहे। 

आवासीय ले-आउट पर इसलिए कंपाउंडिंग नहीं 

एमडीडीए सचिव पीसी दुम्का का कहना है कि जिन आवासीय क्षेत्रों का ले-आउट पास है, वहां लोगों ने अधिक राशि खर्च कर घर बनाए हैं, ऐसे में यदि यहां भी व्यावसायिक भवनों को छूट दी जाएगी, तो इसे उनके हितों का हनन माना जाएगा। सिर्फ उन्हीं आवासीय क्षेत्रों क्षेत्रों में किसी दुकान आदि को कंपाउंड किया जा सकता है, जहां का ले-आउट पास न हो। 

ये व्यावसायिक गतिविधियां तो कंपाउंडिंग नहीं 

जिन भवनों में वाहनों के वर्कशॉप, सर्विस स्टेशन, स्पेयर पार्ट्स की दुकान, आटा चक्की, मांस की दुकान, शराब की दुकान, भवन निर्माण सामग्री विक्रय केंद्र या जो निकटवर्ती आवासीय भवनों पर प्रतिकूल असर डालते हैं, उनकी कंपाउंडिंग नहीं की जाएगी। 

सिर्फ भूतल की दुकान होगी कंपाउंड 

कार्यशाला में आर्किटेक्ट्स ने सवाल उठाया कि आवासीय क्षेत्रों में कमर्शियल निर्माण पर 50 से 75 वर्गमीटर की छूट स्पष्ट नहीं है। इसका जवाब देते हुए एमडीडीए सचिव ने कहा कि अधिकतम 200 वर्गमीटर के प्लॉट पर 75 फीसद तक के कमर्शियल निर्माण को पास किया जा सकता है। इसके साथ ही यह निर्माण भूतल पर होना चाहिए, पहली मंजिल पर कमर्शियल निर्माण को पास नहीं किया जाएगा। 

स्वमूल्यांकन पर भी उठाए सवाल 

उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा ने कार्यशाला में कहा कि वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के तहत लोगों को कंपाउंडिंग राशि की स्वयं गणना करनी है और इसकी 50 फीसद राशि नक्शा जमा कराने के दौरान अदा करने को कहा गया है। जबकि अब तक की व्यवस्था में नक्शा पास होने की स्थिति में एमडीडीए ऑनलाइन इसकी राशि की जानकारी देता है। जबकि इस व्यवस्था में पहले ही राशि जमा करानी होगी और एमडीडीए के सिस्टम में ऐसा कोई विकल्प नहीं दिया गया है। एमडीडीए सचिव दुम्का ने कहा कि जल्द इसका विकल्प भी सिस्टम से जारी कर दिया जाएगा। 

सेटेलमेंट को दोबारा नक्शा दाखिल करना होगा 

कार्यशाला में यह भी स्पष्ट किया गया कि वन टाइम सेटेलमेंट का लाभ लेने के लिए लोगों को नए सिरे नक्शा दाखिल करना होगा। फिर भले ही किसी ने कंपाउंडिंग मैप पहले से ही क्यों न दाखिल किया हो। 

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