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हिल स्टेशन नैनीताल भी नहीं पलायन के दंश से अछूता, 10 साल में 4800 ने किया स्थायी पलायन

Migration From Hill Station Nainital नैनीताल जिला भी पलायन के दंश से अछूता नहीं है। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की नैनीताल जिले की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है। यहां दस साल में 4800 व्यक्तियों ने पलायन किया है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 07:49 AM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 01:09 PM (IST)
हिल स्टेशन नैनीताल भी नहीं पलायन के दंश से अछूता, 10 साल में 4800 ने किया स्थायी पलायन
हिल स्टेशन नैनीताल भी नहीं पलायन के दंश से अछूता।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। Migration From Hill Station Nainital  पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण होने के बावजूद नैनीताल जिला भी पलायन के दंश से अछूता नहीं है। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की नैनीताल जिले की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी गई इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में जिले की 339 ग्राम पंचायतों से 20951 व्यक्तियों ने अस्थायी रूप से पलायन किया, जबकि 213 ग्राम पंचायतों से 4823 व्यक्तियों ने पूर्ण रूप से स्थायी पलायन किया है। आयोग ने जिले के गांवों से पलायन की रोकथाम को कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं।

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पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डा एसएस नेगी ने विगत दिवस मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात कर उन्हें नैनीताल जिले की सर्वे रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के अनुसार यहां के गांवों से पलायन करने वालों में 36 फीसद लोग 26 से 35 आयु वर्ग के हैं। यह भी बताया गया है कि आठ विकासखंडों वाले इस जिले में भीमताल और हल्द्वानी में जनसंख्या घटी है, जबकि अन्य में बढ़ी है। जिले में जनसंख्या का घनत्व 225 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जो वर्ष 2001 में 198 वर्ग किमी था।

आयोग ने जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के मद्देनजर कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं। रिपोर्ट में महिलाओं के कौशल विकास को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया है। कहा गया है कि जिले के पर्वतीय क्षेत्र में कृषि महिलाओं पर निर्भर है। ऐसे में उन्हें उन्नत बीज, नवीनतम कृषि यंत्र, उपकरण व कृषि की नवीन वैज्ञानिक विधियों की जानकारी देने का प्रविधान करने का सुझाव दिया गया है। इसके साथ ही महिला डेरी योजना, गंगा गाय महिला डेरी विकास योजना और राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना के माध्यम से डेयरी व्यवसाय को मजबूती प्रदान करने पर भी बल दिया गया है।

ये भी दिए गए हैं सुझाव

-वन्यजीवों से फसल सुरक्षा को प्रभावी योजना बनाई जाए

-लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा देकर स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए जाएं

-उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम को ग्राम पंचायतों तक ले जाया जाए

-प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत भविष्य में होने वाली मांग के साथ रोजगार केंद्रित कार्ययोजना बने

-किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारिता विभाग की योजनाओं के नियमों में किया जाए सरलीकरण

-जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बकरी, भेड़, मुर्गी व मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाए

-डेरी व पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए डेरी व पशुपालन की एकीकृत योजनाएं संचालित की जाएं

-जिले के प्रत्येक विकासखंड को सब्जी व फल पट्टी हब के रूप में विकसित किया जाए

-बीज अनुसंधान के तहत अधिक फसलोत्पादन देने वाले उन्नत बीज विकसित किए जाएं

-ग्रामीण क्षेत्रों में होम स्टे के साथ ही ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाए

-पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही पर्यटन से स्थानीय हस्तशिल्प, त्योहार, मेले व हाट बाजारों को जोड़ा जाए

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