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Breast Cancer: एम्स में तीन साल में बढ़े 30 फीसद मामले, कम उम्र की महिलाएं भी चपेट में; जानें लक्षण

Breast Cancer एम्स ऋषिकेश की ओपीडी में पिछले तीन वर्षों के दौरान ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। चिंता की बात यह है कि इस बीमारी के प्रति महिलाओं में जागरूकता की कमी है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 06:56 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 09:10 PM (IST)
Breast Cancer: एम्स में तीन साल में बढ़े 30 फीसद मामले, कम उम्र की महिलाएं भी चपेट में; जानें लक्षण
एम्स ऋषिकेश में तीन साल में बढ़े 30 फीसद मामले।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। Breast Cancer महिलाओं की आम बीमारी में शामिल ब्रेस्ट कैंसर के मामले देश में साल दर साल बढ़ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि एम्स ऋषिकेश की ओपीडी में पिछले तीन वर्षों के दौरान ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में 30 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। चिंता की बात यह है कि इस बीमारी के प्रति महिलाओं में जागरूकता की कमी के कारण ब्रेस्ट कैंसर अब कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। विशेषज्ञ चिकित्सकों ने इस मामले में जन जागरूकता लाए जाने की आवश्यकता बताई है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महिलाओं में कैंसर से होने वाली कुल मौतों में 21 फीसदी से अधिक मौत ब्रेस्ट कैंसर के कारण होती हैं। समय रहते इसके लक्षणों में ध्यान न देने और जागरूकता की कमी के चलते महिलाओं को इसका पता चलने तक कैंसर घातक रूप ले चुका होता है। एम्स ऋषिकेश के एकीकृत स्तन उपचार केन्द्र के आंकड़े तस्दीक करते हैं कि उत्तराखंड और आस-पास के राज्यों में स्तन कैंसर के मरीजों में साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। वर्ष 2019 में ब्रेस्ट कैंसर की ओपीडी में यहां 1233 मरीज पंजीकृत किए गए थे। जबकि वर्ष 2020 में मरीजों की यह संख्या बढ़कर 1600 हो गयी।

चालू वर्ष 2021 की बात करें तो इस वर्ष सितम्बर माह के पहले सप्ताह तक एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के 2000 मरीज आ चुके हैं। इसके अलावा बेहद चिन्ता की बात यह है कि पहले यह बीमारी अधिकांशतः 40-50 वर्ष आयु से अधिक उम्र की महिलाओं में होती थी। लेकिन अब यह कम उम्र की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। एम्स में इलाज करवा रहे मरीजों में कई मरीज ऐसे हैं जिनकी उम्र 18- 25 वर्ष है।

एम्स के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि इलाज में देरी और बीमारी को छिपाने से ब्रेस्ट कैंसर जानलेवा साबित होता है। महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरूक नहीं रहतीं। जागरूकता के अभाव में औसतन आठ में से एक महिला इस बीमारी से ग्रसित हो जाती है। सूचना और संचार के इस युग में महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष जागरूक रहने की आवश्यकता है।

एकीकृत स्तन उपचार केंद्र विकसित

एम्स ऋषिकेश में एकीकृत स्तन उपचार केंद्र की चेयरपर्सन प्रोफेसर बीना रवि ने कहा कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की सभी आधुनिकतम व विश्व स्तरीय सुविधाएं मौजूद हैं। एम्स में इसके लिए एकीकृत स्तन उपचार केन्द्र विशेष तौर से विकसित किया गया है। यहां इस बीमारी से संबंधित सभी जाचें और इलाज विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक ही स्थान पर किया जाता है। डा. बीना रवि ने कहा कि एम्स में एकीकृत स्तन उपचार केन्द्र में इस बीमारी की सघनता से जांच कर बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

जानिए ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण

स्तन में या बगल में गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना अथवा उसमें जलन पैदा होना, पीठ या रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना।

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अब नई तकनीक से होगी ब्रेस्ट कैंसर की जांच

एकीकृत स्तन उपचार केन्द्र के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डा. प्रतीक शारदा ने बताया कि एकीकृत ब्रेस्ट कैंसर विभाग में वैक्यूम असिस्टेड ब्रेस्ट बायोप्सी नई मशीन स्थापित की गयी है। यह मशीन स्तन में उभरे गांठ को निकालने में विशेष सहायक है और अति आधुनिक उच्चस्तरीय तकनीक की है। इस मशीन की सुविधा से अब मरीज को आपरेशन थिएटर में ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। उन्होंने बताया कि आइबीबीसी ओपीडी में स्थापना से आज तक 12 हजार से अधिक मरीजों को देखा जा चुका है।

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