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Uttarakhand Budget Session 2021: गन्ना मूल्य पर गरमाया सदन, विपक्ष ने किया वाकआउट

Uttarakhand Budget Session 2021 गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी न होने और सरकार के जवाब से नाराज विपक्ष कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया। वहीं सरकार ने साफ किया कि प्रदेश में गन्ने का मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने वाले राज्यों में सबसे कम है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 10:12 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 10:16 PM (IST)
Uttarakhand Budget Session 2021: गन्ना मूल्य पर गरमाया सदन, विपक्ष ने किया वाकआउट
गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी न होने और सरकार के जवाब से नाराज विपक्ष कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया।

राज्य ब्यूरो, गैरसैंण। Uttarakhand Budget Session 2021 गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी न होने और सरकार के जवाब से नाराज विपक्ष कांग्रेस ने सदन से वाकआउट कर दिया। वहीं, सरकार ने साफ किया कि प्रदेश में गन्ने का मूल्य, न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने वाले राज्यों में सबसे कम है। सरकार ने गन्ना किसानों के भुगतान के लिए बजट में अग्रिम व्यवस्था भी की हुई है। शुक्रवार को कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नियम 310 के तहत चर्च करने की मांग की। इस पर पीठ ने इसे नियम 58 यानी कार्य स्थगन की ग्राह्यता पर सुनने की व्यवस्था दी। विधायक काजी निजामुद्दीन ने इस मसले को उठाते हुए कहा कि प्रदेश में महंगाई तेजी से बढ़ी है। डीजल व पेट्रोल की कीमतें आसमान छू रही हैं। मजदूरी बढ़ गई है। 

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किसानों की गन्ना उत्पादन लागत बढ़ रही है लेकिन सरकार ने चार साल से गन्ना कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। मात्र एक रुपये की बढ़ोतरी अभी तक हुई है। इससे किसानों के सामने आॢथक संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार पेराई सत्र से पहले गन्ने की कीमतों को बढ़ाए। अपनी बात-कहते वह काफी भावुक भी हो गए थे। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने कहा कि किसानों ने गन्ने को कैश क्राप के रूप में बोना कम कर दिया है। बजट में किसानों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कहीं कई हैं लेकिन किसानों के गन्ने का बकाया भुगतान कब किया जाएगा, इसकी व्यवस्था नहीं की गई है।

यह मामला किसानों की आर्थिकी से जुड़ा है, इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उप नेता प्रतिपक्षा करण माहरा ने कहा कि सरकार को उन किसानों से माफी मांगनी चाहिए, जिनका भुगतान नहीं हुआ। प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले किसानों से बड़े-बड़े वादे किए थे। कहा था कि किसानों का ऋण़ माफ कऱ देंगे। चार साल हो गए लेकिन सरकार अपना वादा भूल गई। वहीं केंद्र सरकार भी तीन काले कानून लाकर किसानों का दमन कर रही है। कांग्रेस विधायक ममता राकेश, फुरकान अहमद और राजकुमार ने भी गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग की।

सरकार का पक्ष रखते हुए संसदीय कार्य मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि प्रदेश व केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए प्रयासरत है। सरकार तीन कृषि कानून लाई है, कोई यह नहीं बता पा रहा है कि इनमें कमी क्या है। भाजपा ने सत्ता में आने के बाद गन्ना किसानों को 450 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह पैसा सरकार ने अपने खजाने से दिया। इस बार भी बजट में 245 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। उत्तराखंड में अन्य राज्यों के तुलना में गन्ने का उचित और अच्छा मूल्य दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गन्ना मूल्य के लिए अगेती प्रजाति के लिए 327 रुपये प्रति क्‍विंटल और सामान्य प्रजाति के लिये 317 रुपये प्रति क्‍विंटल का प्रविधान किया गया है। यह मूल्य उत्तरप्रदेश से अगेती प्रजाति में दो रुपये अधिक और सामान्य प्रजाति में 12 रुपये अधिक है। राजस्थान की तुलना में अगेती प्रजाति में 17 रुपये अधिक और सामान्य प्रजाति में 17 रुपये अधिक है। उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों का पिछला सारा भुगतान कर दिया है।

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