Move to Jagran APP

सूचना का अधिकार अधिनियम के लिए शुल्क अदा करने की सीमा नहीं

आरटीआइ एक्ट के तहत सूचना मांगते समय 10 रुपये का आवेदन शुल्क जमा कराना होता है। इसके बाद जो सूचना दी जाती है उसके लिए अतिरिक्त शुल्क जमा कराना होता है। अतिरिक्त शुल्क जमा करने की समयसीमा का उल्लेख आरटीआइ एक्ट में नहीं है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 02:05 PM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 02:05 PM (IST)
सूचना का अधिकार अधिनियम के लिए शुल्क अदा करने की सीमा नहीं
सूचना का अधिकार अधिनियम के लिए शुल्क अदा करने की सीमा नहीं।

जागरण संवाददाता, देहरादून। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआइ एक्ट) के तहत सूचना मांगते समय 10 रुपये का आवेदन शुल्क जमा कराना होता है। इसके बाद जो सूचना दी जाती है, उसके लिए अतिरिक्त शुल्क जमा कराना होता है। अतिरिक्त शुल्क जमा करने की समयसीमा का उल्लेख आरटीआइ एक्ट में नहीं है। बावजूद इसके एक प्रकरण में तीन साल बाद अतिरिक्त शुल्क जमा करने पर ऊर्जा निगम ने सूचना देने से इन्कार कर दिया। साथ ही सूचना मांगने वाले व्यक्ति को नियमों का पाठ भी पढ़ा दिया। इस मामले में मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने ऊर्जा निगम के नगरीय विद्युत वितरण खंड (केंद्रीय) के अधिशासी अभियंता के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए सूचना देने में अड़ंगा न लगाने की हिदायत दी है।

loksabha election banner

17 अक्टूबर 2016 को अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने सूचना विद्युत वितरण खंड से उच्च न्यायालय व उच्चतम न्यायालय में पक्ष रखने के लिए की गई अधिवक्ताओं की तैनाती की सूचना मांगी थी। आंशिक सूचनाएं देते हुए खंड कार्यालय ने शेष के लिए काफी विलंब से 18 नवंबर 2016 को अतिरिक्त शुल्क की मांग की। हालांकि, अधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने 118 रुपये का अतिरिक्त शुल्क जुलाई 2019 में जमा कराया। इसपर लोक सूचनाधिकारी/अधिशासी अभियंता ने कहा कि तीन साल बाद सूचना की मांग करना तर्कसंगत और न्यायसंगत नहीं है।

सूचना चाहिए तो नए सिरे से आवेदन किया जाए। इस जवाब से खिन्न अधिवक्ता ने सूचना आयोग में शिकायत की। सुनवाई में मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने अधिवक्ता की दलीलों पर संतुष्टि व्यक्त करते हुए कहा कि अतिरिक्त शुल्क जमा करने की कोई सीमा तय नहीं की गई है।

लोक सूचनाधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सूचना देने में तकनीकी अड़चन पैदा न करें। जो सूचना देने योग्य है, उसे देना चाहिए। आरटीआइ एक्ट की मूल भावना सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार को उजागर करना है। इस मामले में लोक सूचनाधिकारी ने सूचना छिपाने का प्रयास किया है। आयोग ने आदेश दिया कि 118 रुपये के अतिरिक्त शुल्क को वापस कर मांगी गई सूचना प्रदान की जाए।

यह भी पढ़ें-सूचना विलंब से देने पर वापस किए साढ़े 11 हजार, आरटीआइ के तहत मांगी गई थी जानकारी

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.