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हिमालय नॉलेज नेटवर्क की नोडल एजेंसी बना यूसैक, पढ़िए पूरी खबर

चमोली आपदा के बाद अब सरकार जलवायु परिवर्तन को लेकर ज्यादा संजीदा दिख रही है। तय किया गया है कि जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए हिमालय नॉलेज नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। नोडल एजेंसी के रूप में इसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) को दी गई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 04 Mar 2021 11:05 AM (IST)Updated: Thu, 04 Mar 2021 11:05 AM (IST)
हिमालय नॉलेज नेटवर्क की नोडल एजेंसी बना यूसैक, पढ़िए पूरी खबर
एमओयू को प्रदर्शित करते यूसैक निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट व जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ. आरएस रावत।

जागरण संवाददाता, देहरादून। ऋषिगंगा कैचमेंट (जलग्रहण क्षेत्र) से निकली जलप्रलय के बाद अब सरकार जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभाव को लेकर ज्यादा संजीदा दिख रही है। तय किया गया है कि जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन के लिए हिमालय नॉलेज नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। नोडल एजेंसी के रूप में इसकी जिम्मेदारी उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) को दी गई है। इस दिशा में औपचारिक कार्रवाई करते हुए बुधवार को जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान (अल्मोड़ा) और यूसैक के बीच एमओयू हस्ताक्षरित किया गया।

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एमओयू पर हस्ताक्षर जीबी पंत पर्यावरण संस्थान के निदेशक डॉ. आरएस रावल और यूसैक के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने किए। इस अवसर पर डॉ. एमपीएस बिष्ट ने कहा कि नीति आयोग ने जीबी पंत पर्यावरण संस्थान को हिमालयी क्षेत्र के लिए केंद्रीकृत डाटा प्रबंधन एजेंसी के रूप में नामित किया है। एजेंसी के लिए नॉलेज नेटवर्क की स्थापना के लिए यूसैक को नोडल एजेंसी बनाया गया है।

वहीं, डॉ. आरएस रावल ने कहा कि यूसैक राज्य के विभिन्न विज्ञानी संस्थानों, रेखीय विभागों, गैर सरकारी संस्थानों के बीच सूचना की सुगम साझेदारी के लिए नेटवर्क स्थापित करेगा। यूसैक राज्य के हित के विषयों की पहचान कर विस्तृत दस्तावेज तैयार करेगा। साथ ही सुधार संबंधी कार्यों के लिए रणनीति तैयार करने का जिम्मा भी यूसैक को दिया गया है। एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाने के दौरान यूसैक के विज्ञानी डॉ. गजेंद्र सिंह, शशांक लिंगवाल, डॉ. सुषमा गैरोला, डॉ. आशा थपलियाल, जनसंपर्क अधिकारी सुधाकर भट्ट, इंद्रजीत सिंह आदि उपस्थित रहे।

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