उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय : दो निदेशकों के बाद निशाने पर वीसी
जिसका अंदेशा जताया जा रहा था वही हुआ। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति पद से प्रो नरेंद्र एस चौधरी ने अपना इस्तीफा राजभवन को सौंप दिया। राज्यपाल ने इसे स्वीकार भी कर लिया। सरकार के साथ उनकी तनातनी लंबे अरसे से चल रही थी।
रविंद्र बड़थ्वाल, देहरादून। जिसका अंदेशा जताया जा रहा था, वही हुआ। उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति पद से प्रो नरेंद्र एस चौधरी ने अपना इस्तीफा राजभवन को सौंप दिया। राज्यपाल ने इसे स्वीकार भी कर लिया। सरकार के साथ उनकी तनातनी लंबे अरसे से चल रही थी। उनकी नियुक्ति के कुछ समय बाद ही विश्वविद्यालय में पीएचडी घपला सामने आया। इसके बाद निजी कालेजों को संबद्धता देने पर सवाल उठे। सरकार ने जांच कराई। इसमें अनियमितता की पुष्टि हुई। इससे पहले कि सरकार शिकंजा कसती, उन्होंने इस्तीफा राजभवन भिजवा दिया। तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध सीमांत इंजीनियरिंग कालेज पिथौरागढ़ के निदेशक प्रो अंबरीष कुमार विद्यार्थी और कुमाऊं इंजीनियरिंग कालेज द्वाराहाट के निदेशक प्रो वीएम मिश्रा के खिलाफ गड़बड़ी के मामलों में सरकार चाबुक चला चुकी है। कार्रवाई की अगली कड़ी में कुलपति प्रो चौधरी का नाम लिया जा रहा था। शासन के गलियारों में इस्तीफे के दांव के पीछे यही वजह चर्चा में है।
अंब्रेला एक्ट आने से पहले नियम लागू
यूं ही नहीं कहा जाता कि सरकार के लिए कोई काम मुश्किल नहीं है। निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी पर शिकंजा कसने की शुरुआत हो गई है। सरकार ने हाल ही में दो नए निजी विश्वविद्यालयों को मंजूरी दी है। दोनों ही विश्वविद्यालयों को अब सरकार की निगरानी में रहना होगा। विश्वविद्यालयों में दाखिले और फीस को लेकर मनमानी करने की शिकायत मिलने पर सरकार तुरंत एक्शन मोड में होगी। विधेयकों में प्रविधान किया गया है कि विश्वविद्यालय की मुख्य नियंत्रणकारी संस्था व्यवस्थापक मंडल में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उच्च शिक्षा प्रमुख सचिव या सचिव नामित रहेंगे। विजिटर यानी कुलाध्यक्ष के रूप में राज्यपाल की भूमिका तय की गई है। हालांकि निजी विश्वविद्यालयों के लिए अभी अंब्रेला एक्ट आना बाकी है। प्रस्तावित एक्ट में उक्त प्रविधान किए गए हैं। नया एक्ट लागू होने से पहले ही इस पर बेहद सफाई के साथ अमल शुरू कर दिया गया है।
नमामि गंगे अभियान के लक्ष्य पर नजर
प्रदेश में एक अच्छी मुहिम जल्द शुरू होने जा रही है। आगामी 15 से 30 मार्च तक सभी विश्वविद्यालयों एवं डिग्री कालेजों में नमामि गंगे के अंतर्गत स्वच्छ व निर्मल गंगा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा धन सिंह रावत इस अभियान को लेकर खासे उत्साहित हैं। उन्होंने कुलपतियों और कालेज प्राचार्यों को इस अभियान से हजारों छात्र-छात्राओं को जोडऩे को कहा है, ताकि नमामि गंगे को लेकर बड़ा संदेश दिया जा सके। हर मामले में सियासत ढूंढऩे वाले मंत्रीजी की इस मंशा के पीछे बहुत पहले लुप्त हो चुकी स्पर्श गंगा अभियान की प्रेरणा देख रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक ने सूबे का मुख्यमंत्री रहते हुए इस अभियान का श्रीगणेश किया था। अगला विधानसभा चुनाव नजदीक है। डा निशंक का उनके विधानसभा क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। ऐसे में डा रावत बड़े करीने से सभी समीकरण साधने में जुटे हुए हैं।
स्कूल एकीकरण अब सीएम के हाथों मे
प्रदेश में एक ही कैंपस में प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और हाईस्कूल अलग-अलग चल रहे हैं। सरकार विद्यालयों के एकीकरण का आदेश दे चुकी है, लेकिन शिक्षक संगठनों के दबाव में इस पर अमल नहीं हो पा रहा है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय इस मामले में कई दफा सख्त रुख अपना चुके हैं, पर अपेक्षित परिणाम नहीं मिले। अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मोर्चा संभाला है। उन्होंने प्रभारी सचिव नीरज खैरवाल को इस मामले में अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। स्कूलों के एकीकरण में जो तरकीब अपनाई जाने वाली है, चौंका रही है। एकमात्र ऊधमसिंह नगर जिले में एक ही कैंपस के विद्यालयों का एकीकरण हो चुका है। ये शिक्षा मंत्री का गृह जिला है। शिक्षा मंत्री को प्रदेश में भले ही मायूसी मिली, लेकिन अपने जिले में कामयाबी मिल गई। इस बेस्ट प्रेक्टिस को किसतरह अमल में लाया जाता है, इस पर मंथन किया जा रहा है।
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