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214 करोड़ खर्च, फिर भी 20 हजार बच्चे कुपोषित

20066 आंगनबाड़ी केंद्र में बाल विकास की सुनिश्चितता और कुपोषण खत्म करने के लिए हर साल 214 करोड़ रुपये का बजट। बावजूद इसके प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या 20 हजार से अधिक। यह है।

By Edited By: Published: Sat, 04 Aug 2018 03:02 AM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2018 09:28 AM (IST)
214 करोड़ खर्च, फिर भी 20 हजार बच्चे कुपोषित
214 करोड़ खर्च, फिर भी 20 हजार बच्चे कुपोषित
राज्य ब्यूरो, देहरादून: 20066 आंगनबाड़ी केंद्र। इनमें बाल विकास की सुनिश्चितता और कुपोषण खत्म करने के लिए हर साल 214 करोड़ रुपये का बजट। बावजूद इसके प्रदेश में कुपोषित बच्चों की संख्या 20 हजार से अधिक। यह है उत्तराखंड में नौनिहालों को कुपोषण से बचाने की मुहिम का लेखा-जोखा। इससे सरकार की पेशानी पर भी बल पड़े हैं। लिहाजा, अब कुपोषित बच्चों पर खास ध्यान केंद्रित करने के साथ ही इनके परिवारों को रोजगारपरक गतिविधियों से जोड़ने की योजना है, ताकि वे भी अपने पाल्यों का ठीक से ख्याल रख सकें। आंगनबाड़ी केंद्रों को बाल विकास एवं कुपोषण के मद्देनजर हर साल आवंटित होने वाले बजट को देखें तो एक जिले के हिस्से में औसतन 16.46 करोड़ रुपये की राशि आ रही है। बावजूद इसके कुपोषण की मार से त्रस्त नौनिहाल हृष्ट-पुष्ट नहीं हो पा रहे, तो जाहिर है कि सिस्टम में कहीं न कहीं कोई खोट है। प्रदेशभर में 20 हजार से अधिक कुपोषित बच्चों का आंकड़ा इसकी तस्दीक करता है। कुपोषित बच्चों की यह संख्या तो उनकी है, जो आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत हैं। यदि इसमें झुग्गी झोपड़ियों और मलिन बस्तियों के बच्चों की संख्या भी जोड़ दी जाए तो आंकड़ा कहीं अधिक जा सकता है। इससे सरकार की चिंता भी बढ़ गई है। हाल में ही आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों को दिए जाने वाले पौष्टिक आहार ऊर्जा (मंडुवा, भट्ट, घी, गुड़ व चौलाई का पका हुआ पोषाहार) की समीक्षा में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निर्देश दिए कि नौनिहालों के कुपोषण जांच की निरंतर मॉनीट¨रग की जाए। इसके साथ ही कुपोषित बच्चों के परिवारों को स्वयं सहायता समूहों के जरिये रोजगारपरक कार्यक्रमों से भी जोड़ने की सरकार की मंशा है। ------ 'आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत कुपोषित बच्चों को डाइट चार्ट के अनुसार अंडे, दाल और ऊर्जा प्रोडक्ट दिए जा रहे हैं। साथ ही इनके स्वास्थ्य परीक्षण पर भी फोकस किया गया है। कुपोषित बच्चों की लगातार निगरानी रखने के साथ ही उनके परिजनों को भी सजग किया जाएगा। ऐसे बच्चों के परिवारों को स्वयं सहायता समूहों के जरिये रोजगारपरक कार्यक्रमों से जोड़ने के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।'-रेखा आर्य, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) महिला कल्याण एवं बाल विकास, उत्तराखंड -----

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