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मुसीबत का सबब बने 10 बिगड़ैल हाथियों पर लगेंगे रेडियो कॉलर

राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार व आसपास के क्षेत्र के निवासियों के लिए मुसीबत का सबब बने 10 बिगड़ैल हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे।

By Edited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 09:55 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 03:54 PM (IST)
मुसीबत का सबब बने 10 बिगड़ैल हाथियों पर लगेंगे रेडियो कॉलर
मुसीबत का सबब बने 10 बिगड़ैल हाथियों पर लगेंगे रेडियो कॉलर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार व आसपास के क्षेत्र के निवासियों के लिए मुसीबत का सबब बने 10 बिगड़ैल हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाए जाएंगे। अगले वर्ष होने वाले महाकुंभ के दौरान मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के वन्यजीव प्रभाग ने अनुमति प्रदान कर दी है। अब वन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से इन हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाएगा।

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हरिद्वार क्षेत्र में लंबे समय से हाथियों की धमाचौकड़ी ने नाक में दम किया हुआ है। लॉकडाउन के दौरान तो हाथी हरकी पैड़ी क्षेत्र तक आ धमके थे। हाथियों का खौफ निरंतर बना हुआ है। इसे देखते हुए वन विभाग ने राजाजी टाइगर रिजर्व से लगे हरिद्वार समेत आसपास के क्षेत्र में ऐसे हाथियों की पहचान करने की कवायद शुरू की, जो आबादी वाले क्षेत्र और हाईवे पर लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन रहे हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से रिजर्व प्रशासन ने बिगड़ैल हाथियों की पहचान की। क्षेत्र में ऐसे 10 हाथी चिह्नित किए गए। वन विभाग ने इन हाथियों पर रेडियो कॉलर लगाने का प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा, जहां से इसे स्वीकृति मिल गई है। 

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि हरिद्वार क्षेत्र में हाथियों पर लगाने के लिए 10 रेडियो कॉलर तैयार हैं। रेडियो कॉलर लगने पर इनकी गतिविधियों का पता चलता रहेगा। इससे संबंधित इलाके के निवासियों को सतर्क करने के साथ ही हाथियों को जंगल की तरफ खदेड़ने के लिए कदम उठाए जा सकेंगे।

हाथियों को आबादी की तरफ आने से रोकेंगे कांटेदार बांस

उत्तराखंड में हाथी बहुल क्षेत्र में गजराज और मनुष्य के बीच टकराव टालने को अब नए उपाय धरातल पर उतारा जाएंगे। यहां कांटेदार बांस, अगेव अमेरिकाना के साथ ही मधुमक्खियां हाथियों को आबादी की तरफ आने से रोकेंगे। वन विभाग की अनुसंधान विंग को इसके लिए अनुसंधान सलाहकार समिति से मंजूरी मिल गई है। श्यामपुर और लालकुंआ क्षेत्र में यह प्रयोग किए जाएंगे। इसके साथ ही हाथियों को जंगल में थामने के मद्देनजर अब तक उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की जाएगी।

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