ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण झेल रही पलायन का दंश
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण भी पलायन के दंश से अछूती नहीं है। गैरसैंण समेत चमोली जिले के पांच विकासखंडों के गांवों में आबादी निरंतर घट रही है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण भी पलायन के दंश से अछूती नहीं है। गैरसैंण समेत चमोली जिले के पांच विकासखंडों के गांवों में आबादी निरंतर घट रही है। उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा तैयार की गई चमोली जिले की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। ये बात भी सामने आई है कि जिले के 373 ग्राम पंचायतों से 14 हजार लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया है, जबकि 556 ग्राम पंचायतों से 32 हजार ने अस्थायी रूप से। सूत्रों के मुताबिक आयोग ने इस जिले में आजीविका विकास पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही कृषि, पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों को तेज करने का सुझाव दिया है।
आयोग के अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशों के क्रम में पलायन आयोग जिले वार सर्वे रिपोर्ट तैयार कर रहा है। पौड़ी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व टिहरी के बाद अब चमोली जिले की रिपोर्ट तैयार की गई है। 15 अगस्त से पहले यह मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी और इसके बाद ही इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में उल्लेख है कि 14 फरवरी 1960 को अस्तित्व में आए चमोली जिले में जनसंख्या वृद्धि की दर घट रही है। वर्ष 2001 से 2011 के बीच यह दर 0.56 फीसद रही है। नौ विकासखंडों वाले इस जिले के पांच विकासखंडों में आबादी घटी है। इनमें गैरसैंण ब्लाक भी शामिल है, जिसमें ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण (गैरसैंण) स्थित है। इसके अलावा दशौली, पोखरी, कर्णप्रयाग व थराली विकासखंडों के गांवों में भी आबादी कम हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2011 से 2018 के बीच चमोली जिले के सभी विकासखंडों की 556 ग्राम पंचायतों से 32 हजार लोगों ने अस्थायी रूप से पलायन किया। यानी, ये लोग समय-समय पर गांव आते-जाते रहते हैं। अलबत्ता 373 ग्राम पंचायतों के 14 हजार लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पूरी तरह से गांव को अलविदा कहते हुए दूसरे शहरों में आशियाने बनाए हैं। रिपोर्ट में उल्लेख है कि चमोली जिले से 50 फीसद लोगों ने आजीविका और 20 फीसद ने शिक्षा व सुविधाओं के अभाव में पलायन किया है। इनमें 43 फीसद लोग 26 से 35 आयु वर्ग के हैं।
आयोग की रिपोर्ट में 2019 में हुए सर्वे का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि चमोली जिले के 62 फीसद लोगों ने यह माना है कि उनके लिए पैसा बाहर से आता है। यह पैसा विभिन्न शहरों व क्षेत्रों में रोजगार करने वाले उनके परिवार के सदस्य भेजते हैं।
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'चमोली जिले की सर्वे रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। इसमें जिले में हुए पलायन, इसके कारणों को इंगित करने के साथ ही पलायन थामने को कई सुझाव दिए गए हैं। 15 अगस्त से पहले मुख्यमंत्री इसका विमोचन करेंगे। इसके बाद ही रिपोर्ट के बारे में कुछ जानकारी दी जा सकेगी।'
-डॉ.एसएस नेगी, उपाध्यक्ष, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग।