UPSC Civil Services Final Result 2019: सिविल सेवा परीक्षा में किसान की बेटी ने लिखी सफलता की इबारत
UPSC Civil Services Final Result 2019 किसान की बेटी प्रियंका ने सिविल सेवा परीक्षा में 257वां स्थान प्राप्त कर अपने परिवार और प्रदेश का नाम रोशन किया है।
देहरादून, जेएनएन। UPSC Civil Services Final Result 2019 हालात कितने भी विपरीत क्यों न हों, हौसला बुलंद और इरादा दृढ़ हो तो हर मंजिल पाई जा सकती है। किसान की बेटी प्रियंका पर ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं। डीएवी की छात्रा प्रियंका ने सिविल सेवा परीक्षा में 257वां स्थान प्राप्त कर अपने परिवार और प्रदेश का नाम रोशन किया है।
चमोली जिले में देवाल ब्लॉक के रामपुर गांव की रहने वाली प्रियंका के पिता दीवान राम किसान हैं और मां विमला देवी गृहिणी। विषम परिस्थितियों में पली-बढ़ी प्रियंका ने 12वीं तक की शिक्षा सरकारी स्कूल में ग्रहण की। इसके बाद गोपेश्वर स्थित राजकीय महाविद्यालय से स्नातक किया और फिर एलएलबी के लिए डीएवी पीजी कॉलेज में दाखिला लिया। वर्तमान में वह छठे सेमेस्टर की छात्रा हैं। सिविल सेवा की परीक्षा के साथ ही प्रियंका ने जीवन में कभी ट्यूशन नहीं लिया।
बकौल प्रियंका उनका एक ही मंत्र था 'कठिन परिश्रम'। डीएवी कॉलेज के लॉ विभाग के डॉ. आरके दुबे, डॉ. जगत सिंह चांदपुरी और विभागाध्यक्ष डॉ. पारुल दीक्षित ने हमेशा उनको प्रोत्साहित किया। उन्हें सिविल सेवा में जाने की प्रेरणा अपने मामा मदन राम से मिली, जो वर्तमान में विकासनगर में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सिविल जज (सीनियर डिविजन) हैं। डीएवी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना, डॉ. आरके दुबे और मीडिया प्रभारी डॉ. हरिओम शंकर ने भी फोन पर प्रियंका को सफलता के लिए बधाई दी। प्रियंका एक भाई और तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं।
पुलिस उपाधीक्षक की बेटी ने साबित की काबिलियत
दून निवासी विशाखा डबराल ने सिविल सेवा परीक्षा में 134वां स्थान हासिल किया है। यह इत्तेफाक ही है कि 2017 में भी उन्हें यही स्थान मिला था। वह वर्तमान में आइपीएस की ट्रेनिंग कर रही हैं। विशाखा के पिता बीरेंद्र प्रसाद डबराल पुलिस उपाधीक्षक हैं और इस समय हरिद्वार में तैनात हैं। उनकी मां रश्मि डबराल गृहिणी हैं। विशाखा का एक भाई और एक बहन है। बचपन से होनहार विशाखा को माता-पिता ने हमेशा बड़े लक्ष्य बनाने के संस्कार दिए। पिता अक्सर उन्हें प्रशासनिक और पुलिस सेवा की विशेषताओं के बारे में बताकर अफसर बनने के लिए प्रेरित करते थे। जिसका उन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
विशाखा की 12वीं तक की पढ़ाई गुरुनानक ऐकेडमी से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस कॉलेज से बीए किया। वर्ष 2015 में स्नातक करने के बाद विशाखा ने सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। सेल्फ स्टडी के दम पर वर्ष 2016 में परीक्षा दी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। विशाखा ने हिम्मत नहीं हारी और 2017 में फिर से सिविल सेवा की परीक्षा दी। उस वर्ष उन्होंने 134वां स्थान प्राप्त किया। इस बार उन्होंने फिर से सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता अर्जित की है।
जौनसार की बेटियों ने लहराया परचम
सिविल सेवा परीक्षा में जौनसार बावर की दो बेटियों ने भी परचम लहराकर क्षेत्र का मान बढ़ाया है। परीक्षा में कालसी की सृष्टि ने 734वां और त्यूणी की श्रुति शर्मा ने 775वां स्थान प्राप्त किया है। कालसी के गांव नेवी की रहने वाली सृष्टि के पिता दौलत सिंह आइटीबीपी में डिप्टी कमांडेंट के पद पर चंडीगढ़ में तैनात हैं, जबकि मां सुनीता देवी गृहिणी हैं। सृष्टि की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय दिल्ली से हुई। इसके बाद उन्होंने पौड़ी विश्वविद्यालय से बीटेक किया और फिर सिविल सेवा की तैयारी में जुट गईं। सृष्टि को पांचवें प्रयास में यह सफलता मिली है। उनकी छोटी बहन श्रंखला चंडीगढ़ में अधिवक्ता है, जबकि सबसे छोटा भाई अर्पित एम्स ऋषिकेश में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।
वहीं, त्यूणी के देवघार खत के ग्राम मेघाटू की रहने वाली श्रुति शर्मा के पिता जगतराम शर्मा ओएनजीसी से सेवानिवृत्त हैं और मां कृष्णा शर्मा गृहिणी। सिविल सेवा परीक्षा में छठे प्रयास में सफल हुई श्रुति की प्रारंभिक पढ़ाई मुंबई में हुई। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद से बीटेक किया। अपनी सफलता पर श्रुति कहती हैं कि आज के दौर में बेटियां किसी से कम नहीं हैं। पहाड़ की बेटियों को हमेशा बड़े सपने देखने चाहिएं और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटना चाहिए।
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