Raksha Bandhan 2020 Celebration: रक्षाबंधन पर बहनों के प्यार से सजी भाइयों की कलाई, एक महीने तक न खोलें राखी
Raksha Bandhan 2020 Celebration भाई- बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन देशभर में मनाया गया। देहरादून में भी राखी को लेकर उत्साह और खुशी का माहौल बना रहा।
देहरादून, जेएनएन। Raksha Bandhan 2020 Celebration भाई- बहन का पवित्र त्योहार राखी आज देशभर में मनाया गया। देहरादून में भी राखी को लेकर उत्साह और खुशी का माहौल रहा। सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक के शुभ मुहूर्त में बहनों ने राखी बांधी। मान्यता है कि राखी बंधने के कम से कम एक महीने तक इसे नहीं खोलना चाहिए। आचार्य शिव प्रसाद ग्वाड़ ने बताया कि अगर किसी कारणवश राखी खुल जाती है तो उसे बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए या मिट्टी में भी दबा सकते हैं। कहा कि राखी अधिक से अधिक समय तक अपने कलाई पर रखनी चाहिए।
शरीर के दाहिने हिस्से में नियंत्रण शक्ति ज्यादा
पंडित अनुरोध सेमवाल ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भाई की दाहिनी कलाई पर ही बहन को राखी बांधना चाहिए। माना जाता है कि शरीर का दाहिना हिस्सा पवित्र होता है, इसलिए धार्मिक कार्यों में सभी काम सीधे हाथ से ही किए जाते हैं। शरीर के दाहिने हिस्से में नियंत्रण शक्ति भी ज्यादा होती है। दाहिने हाथ को वर्तमान जीवन के कर्मों का हाथ भी माना जाता है।
रुड़की में उत्साह के साथ मनाया जा रहा रक्षाबंधन का पर्व
शिक्षानगरी रुड़की और आसपास के क्षेत्रों में रक्षाबंधन का पर्व उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। बहनें भाई के माथे पर तिलक कर और कलाई में रक्षा सूत्र बांधकर उनकी दीर्घायु के लिए कामना की। कोरोना वायरस महामारी के कारण इस बार कई बहनों ने घर पर ही स्वयं भाई के लिए राखी बनाई है। वहीं कोविड-19 के संक्रमण के खतरे के भय से मिष्ठान की दुकानों और बाजारों में भी गत सालों की तुलना में कम रौनक दिखाई दे रही है। उधर, कोरोना की वजह से इस बार दूसरे शहरों में रहने वाले कई भाई-बहन एक साथ रक्षाबंधन का पर्व नहीं मना पा रहे हैं।
भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास के प्रतीक रक्षाबंधन
विकासनगर में सोमवार को भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास के प्रतीक रक्षाबंधन के मौके पर अपने भाई की कलाई पर बहनों ने राखी बांधी। इस दौरान बहनों ने भाई को तिलक लगाने के बाद कलाई पर राखी बांधकर रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया। रक्षाबंधन के मौके पर भाइयों ने बहनों को उपहार भेंट किए। जौनसार बावर व पछवादून क्षेत्र में भाई-बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन को मनाने के लिए बहने थाल सजाकर रक्षा सूत्र बांधने अपने भाइयों के घर पहुंची।
ऋषिकेश में संस्कृत महाविद्यालयों द्वारा आयोजित किया उपनयन संस्कार कार्यक्रम
रक्षाबंधन श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर पर ऋषिकेश क्षेत्र में संस्कृत महाविद्यालयों के द्वारा उपनयन संस्कार कार्यक्रम आयोजित किया गया। श्री जय राम संस्कृत महाविद्यालय में कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए कम संख्या में ऋषि कुमार शामिल किए गए। प्रातः काल श्री जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्म स्वरुप ब्रह्मचारी, महाविद्यालय के प्रधानाचार्य पंडित मायाराम रतूड़ी के सानिध्य में ऋषि कुमारों ने गंगा स्नान के पश्चात यज्ञोपवीत धारण किया। श्री जयराम आश्रम गद्दी में आयोजित पूजन कार्यक्रम में ऋषि कुमारों ने स्वस्ति वाचन के साथ उपनयन संस्कार कार्यक्रम संपन्न कराया। संस्था के परमाध्यक्ष ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में उपनयन संस्कार का बड़ा महत्व है। इस दिन से ही ऋषि कुमारों को उपनयन धारण कर वेद अध्ययन का अधिकार प्राप्त होता है। यही कारण है कि श्रावणी पूर्णिमा के रोज संस्कृत दिवस मनाने की परंपरा रही है। इस अवसर पर पंडित प्रदीप शर्मा, पंडित सुबीर शर्मा, अशोक शर्मा, बीएम बडोनी आदि मौजूद रहे।
यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2020: आर्टिफिशियल राखियों को टक्कर दे रही हैं ईको फ्रेंडली राखियां
रक्षाबंधन पर बहनों को मुफ्त यात्रा कराएगा रोडवेज
कोरोना के संकट के दौर में भी सरकार और परिवहन निगम बहनों की सुविधा को भूला नहीं है। इस रक्षाबंधन पर भी परिवहन निगम (रोडवेज) उत्तराखंड की बहनों को मुफ्त यात्रा कराएगा। परिवहन निगम को निश्शुल्क यात्र पर खर्च राशि का भुगतान बाद में शासन करेगा। हालांकि, कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सभी नियमों का पालन कराया जाएगा। जिसमें 50 फीसद यात्री क्षमता का नियम प्रमुख है। परिवहन निगम के उपमहाप्रबंधक (संचालन) आरपी भारती ने बहनों को मुफ्त यात्रा का आदेश जारी कर दिया है।
यह भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2020: स्नेह का धागा, राखी पर भाई का नाम लिखवाने का बढ़ा क्रेज