Move to Jagran APP

श्रमिकों की कमी से थमी ग्रामीण सड़कों की राह

विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में सड़कें जीवन रेखा का काम करती हैं। अभी भी प्रदेश के तमाम गांव इस जीवन रेखा से अछूते हैं।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 10:19 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 10:19 PM (IST)
श्रमिकों की कमी से थमी ग्रामीण सड़कों की राह
श्रमिकों की कमी से थमी ग्रामीण सड़कों की राह

देहरादून, राज्य ब्यूरो। विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में सड़कें जीवन रेखा का काम करती हैं। अभी भी प्रदेश के तमाम गांव इस जीवन रेखा से अछूते हैं। इन गांवों तक सड़क पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) बेहद अहम भूमिका निभा रही है। इस समय इन सड़कों के निर्माण पर कोरोना के कारण उपजे हालात भारी पड़ रहे हैं। नतीजतन तकरीबन 150 सड़कों पर श्रमिकों की कमी के कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। वहीं तकरीबन 80 सड़कें वन विभाग से फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिलने का इंतजार कर रही हैं।

loksabha election banner

  प्रदेश में पीएमजीएसवाई योजना के तहत 800 सड़कों के निर्माण को स्वीकृति दी गई है। इन सड़कों में से 450 पर काम चल रहा है। तकरीबन 150 सड़कों के लिए कुछ समय पहले ही टेंडर किए गए। इनमें काम भी आवंटित हो चुका है लेकिन काम शुरू नहीं हो पा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण श्रमिकों की अनुपलब्धता है। दरअसल, कोरोना के कारण देश भर में लगे लॉकडाउन के बाद अधिकांश श्रमिक अपने गृह राज्यों को वापस चले गए। अनलॉक वन के बाद श्रमिकों के वापस लौटने की प्रक्रिया तो शुरू हुई लेकिन इनकी संख्या बेहद सीमित है। इस कारण जो कार्य अभी चल रहे हैं, उनमें स्थानीय श्रमिकों की संख्या अधिक है। नई 

सड़कों के लिए श्रमिक मिलना बड़ी चुनौती बना हुआ है। अब बरसात का मौसम भी चल रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में इस अवधि में निर्माण कार्य की रफ्तार काफी धीमी हो जाती है। इससे सड़कों के निर्माण का इंतजार अब लंबा होता जा रहा है। इसके अलावा एक बड़ी समस्या और विभाग के सामने आ रही है। वह यह कि स्वीकृत सड़कों को वन विभाग से फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिल पा रही है। 

यह भी पढ़ें: पथरी में नदी में आए पानी के तेज बहाव से रपटा बहा, ग्रामीणों ने की पुल बनाने की मांग

दरअसल, उत्तराखंड का बड़ा भूभाग वनाच्छादित है। इस कारण यहां सड़कें बनाने से पहले वन विभाग की अनुमति लेनी पड़ती है। जिन सड़कों की लंबाई अधिक होती है, उसके लिए प्रदेश सरकार केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से इसकी अनुमति लेती है। ऐसी तकरीबन 250 सड़कें हैं। इनमें से 170 सड़कों के निर्माण को अनुमति मिल चुकी है। वहीं 80 सड़कें अभी तक अनुमति का इंतजार कर रही हैं। अपर सचिव एवं प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के निदेशक उदयराज सिंह का कहना है कि लंबित सड़कों की लगातार समीक्षा की जा रही है। श्रमिकों की कमी को दूर करने का रास्ता तलाशा जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही यह समस्या दूर हो जाएगी।

यह भी पढ़ें: बीएससी के लिए केएलडीएवी कॉलेज में पांच से शुरू होंगे ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, जानिए पूरा शेड्यूल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.