Move to Jagran APP

लंबे इंतजार के बाद 'आबाद' होने जा रही गर्तांगली, दुनिया के खतरनाक रास्तों में है शुमार

Adventure Tourism दुनिया के खतरनाक माने जाने वाले रास्तों में शुमार गर्तांगली 45 साल के लंबे इंतजार के बाद पर्यटन के नक्शे पर आने जा रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 08:12 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 08:12 AM (IST)
लंबे इंतजार के बाद 'आबाद' होने जा रही गर्तांगली, दुनिया के खतरनाक रास्तों में है शुमार
लंबे इंतजार के बाद 'आबाद' होने जा रही गर्तांगली, दुनिया के खतरनाक रास्तों में है शुमार

देहरादून, केदार दत्त। Adventure Tourism रोमांच के शौकीनों के लिए उत्तराखंड से अच्छी खबर आई है। दुनिया के खतरनाक माने जाने वाले रास्तों में शुमार गर्तांगली 45 साल के लंबे इंतजार के बाद पर्यटन के नक्शे पर आने जा रही है। गंगोत्री नेशनल पार्क में मौजूद होने के कारण इसे विकसित किए जाने में तमाम औपचारिकताएं बाधा बन रहीं थीं। अब वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस की बाधा दूर हो गई है।

loksabha election banner

कभी भारत-तिब्बत के बीच व्यापारिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र रहे मार्ग पर पड़ने वाले पहाड़ पर उकेरा गया यह पुराना मार्ग पर्यटकों को रोमांच का अनुभव कराएगा। उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने इस सिलसिले में लोक निर्माण विभाग को शुक्रवार को एनओसी जारी कर दी। गर्तांगली का निर्माण पेशावर से आए पठानों ने पहाड़ी चट्टान को किनारे से काटकर किया था। वर्ष 1975 तक सेना भी इसका उपयोग करती रही, मगर बाद में इसे बंद कर दिया गया था। अब इसके दुरुस्त होने पर इसे ट्रैकिंग और पर्यटन के लिहाज से खोला जाएगा।

गंगोत्री नेशनल पार्क चीन सीमा से सटे उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मौजूद है। इसके अंतर्गत भैरवघाटी से नेलांग को जोडऩे वाले पैदल मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में गर्तांगली मौजूद है। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध से पहले तक इसी मार्ग से भारत-तिब्बत के बीच व्यापार होता था, जिसके बीच गर्तांगली है। इस व्यापारिक मार्ग पर पेशावर के पठानों ने 11 हजार फीट की ऊंचाई पर खड़ी चट्टान को काटकर यह सीढ़ीनुमा मार्ग बनाया था। करीब 300 मीटर लंबे इस गलीनुमा मार्ग को नाम दिया गया गर्तांगली।

वर्ष 1962 के युद्ध के बाद गर्तांगली को आमजन के लिए बंद कर दिया गया, मगर सेना वर्ष 1975 तक इसका उपयोग करती रही। इसके बाद से गर्तांगली पर आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई। नतीजतन देखरेख के अभाव में इसकी सीढ़यिां और किनारे लगाई गई लकड़ी की सुरक्षा बाड़ जर्जर होती चली गई। हालांकि रोमांच के शौकीन लगातार गर्तांगली की मरम्मत कराकर इसे खुलवाने की मांग करते रहे।

वर्ष 2018 में पर्यटन विभाग ने इसके लिए 26 लाख की राशि जारी की और गंगोत्री नेशनल पार्क ने कुछ कार्य भी कराया, मगर कोशिशें फलीभूत नहीं हो पाई। बाद में सरकार ने गर्तांगली को पर्यटन और ट्रैकिंग के लिहाज से विकसित करने के मद्देनजर यह कार्य लोनिवि को सौंपने का निर्णय लिया। मगर वन कानून आड़े आ गए। बीती 29 जून को हुई उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में गर्तांगली का मसला उठा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी राह में आने वाली अड़चनों को दूर करने के साथ ही गर्तांगली की मौलिकता को बरकरार रखते हुए इसका पुनरुद्धार करने के निर्देश दिए। अब गर्तांगली को लेकर तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग के अनुसार गर्तांगली के जीर्णोद्धार के लिए लोक निर्माण विभाग को वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस के मद्देनजर अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया गया है। मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना के तहत लोनिवि को 75 लाख रुपये पहले ही दिए जा चुके हैं।

यह भी पढ़ें: Uttarakhand Tourism News: उत्तराखंड में पर्यटकों को लुभाने के लिए टूरिस्ट टोकन योजना

पर्यटक कर सकेंगे रोमांच का अनुभव...

अब गर्तांगली की सीढ़ियों और किनारे लगी सुरक्षा बाढ़ को दुरुस्त किया जाएगा। यह कार्य पूरा होने के बाद चट्टान पर बनी गर्तांगली से रोमांच के शौकीनों को गुजरने की अनुमति मिल सकेगी।

यह भी पढ़ें: Valley of Flowers: अब फूलों की घाटी का दीदार कर सकेंगे पर्यटक, दिखानी होगी कोरोना टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.