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क्वारंटाइन सेंटरों की हालत पर प्रीतम सिंह ने उठाए सवाल, मृतकों के परिजनों को मुआवजे की मांग

प्रीतम सिंह ने सरकार से मांग की है क्वारंटाइन सेंटरों में जिन ग्रामीणों की मौत हुई है उनके परिजनों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 04:07 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 04:07 PM (IST)
क्वारंटाइन सेंटरों की हालत पर प्रीतम सिंह ने उठाए सवाल, मृतकों के परिजनों को मुआवजे की मांग
क्वारंटाइन सेंटरों की हालत पर प्रीतम सिंह ने उठाए सवाल, मृतकों के परिजनों को मुआवजे की मांग

देहरादून, जेएनएन। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवासियों की वापसी के लिए बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाली और अव्यवस्थाओं पर चिंता जताई। इसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर मांग की है कि क्वारंटाइन सेंटरों में जिन ग्रामीणों की मौत हुई है, उनके परिजनों को दस-दस लाख रुपये मुआवजा दिया जाए। 

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प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में प्रीतम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप राज्य सरकार अपने राज्य ने प्रवासी नागरिकों की घर वापसी के लिए प्रक्रिया शुरू की, जिसके चलते बडी संख्या में लोग अपने घरों को वापस आने शुरू हो गए। ग्रामीण और प्रवासी नागरिकों की वापसी पर उन्हें गांव के विद्यालयों में बने अस्थाई क्वारंटाइन सेंटर में रखा जा रहा है, लेकिन इन सेंटरों में व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए इन क्वारंटाइन सेंटरों में पीने के पानी और शौचालय तक की कोई व्यवस्था नहीं है।

उन्होंने कहा कि पर्वतीय जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटरों में बदहाली और बदइंतजामी के हालात हैं। नैनीताल के बेतालघाट क्वारंटाइन सेंटर में एक चार साल की बच्ची की जहरीले सांप के काटने से मौत हो गई। पौड़ी के बीरोंखाल ब्लॉक के बिरगणा गांव और पाबौ ब्लॉक के पीपली गांव के क्वारंटाइन सेंटरों में उपचार न मिलने के कारण दो युवकों की मौत हो गई। वहीं, चंपावत में लधिया घाटी के बालातडी गांव में छात्रा की होम क्वारंटाइन में मौत हुई, जबकि उत्तरकाशी में क्वारंटाइन सेंटर में उपचार न मिलने के कारण एक युवक को देहरादून भेजा गया, लेकिन उपचार मिलने से पहले ही उसकी मौत हो गई। 

सूर्यकांत धस्माना ने आरोप लगाते हुए कहा कि द्वारीखाल के एक गांव में जिस युवक की घर वापसी पर उसे छह दिन के लिए क्वारंटाइन किया गया था, ने आर्थिक तंगी के चलते आत्महत्या कर ली। ये सभी घटनाएं राज्य सरकार की लापरवाही और बदहाली को साफ दिखा रही हैं। इससे ऐसा लगता है कि कोरोना महामारी की बजाय क्वारंटाइन सेंटरों में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले भी राज्य सरकार से आग्रह किया गया था कि बाहर से आने वाले प्रवासियों के क्वारंटाइन की व्यवस्था बेस कैंपों में ही की जानी चाहिए और बेस कैंपों में संख्या बढ़ने की स्थिति में जिला, तहसील या ब्लॉक मुख्यालयों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए जाने चाहिए। वहीं, प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रवासी नागरिकों के लिए बनाए गये क्वारंटाइन सेंटरों की व्यवस्था सुधारी जाए और सभी मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजे के रूप में दिए जाएं। 

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पर्यटन व्यवसायियों को राहत की घोषणा करे सरकार-धस्माना

कांग्रेस ने एक बार फिर प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार से मांग की है कि पर्यटन व्यवसायियों को आर्थिक संकट से उभारने के लिए जल्द आर्थिक पैकेज घोषित कर उनकी मदद करें। कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कोरोना संकट के कारण राज्य में पांच लाख परिवारों की लाइफ लाइन चारधाम तीर्थ यात्रा प्रभावित हो चुकी है और अब पूरे सीजन में यात्रा संभव नहीं लग रही। ऐसा होने पर यात्रा पर निर्भर तमाम होटल, धर्मशालाएं, भोजनालय रेस्टोरेंट और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान, जो यात्रा सीजन पर ही निर्भर करते हैं उन्हें गंभीर आर्थिक संकटन झेलना पड़ेगा। । श्री धस्माना ने कहा कि इस सामने  खड़े हुए आर्थिके संकट से उभरने के लिए विशेष अर्थिक पैकेज घोषित करना चाहिए।

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