Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में बदलने लगा मौसम, गर्मी से जल्द राहत मिलने की उम्मीद
उत्तराखंड में इन दिनों तापमान 40 के आंकड़े को छू रहा है। तपती गर्मी से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। मौसम विभाग ने 28 मई से उत्तराखंड में बारिश की संभावना व्यक्त की है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में इन दिनों गर्मी चरम पर है। तापमान 40 के आंकड़े को छू रहा है। ऐसे में गर्मी से लोग बेहाल हैं। तपती गर्मी से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। मौसम विभाग ने 28 मई से उत्तराखंड में बारिश की संभावना व्यक्त की है।
उत्तराखंड में बुधवार को भी सुबह से ही चटख धूप निकल गई। ऐसे में लोग गर्मी से परेशान हैं। हालांकि गत शाम दून, मसूरी और कुमाऊं के पिथौरागढ़ में मौसम ने कुछ करवट बदली और हल्की बारिश हुई। इससे इन स्थानों पर मौसम सुहावना हो गया।
वहीं, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, नैनीताल, और मसूरी में अधिकतम तापमान 28 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है, जबकि, रुड़की, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार है। देहरादून में भी यह 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच चुका है।
मौसम विभाग के अनुसार गुरुवार से प्रदेश को कुछ राहत मिल सकती है। गुरुवार और शुक्रवार को प्रदेश में पहाड़ों में बारिश तो मैदानों में 60 से 70 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चल सकती है।
मसूरी में कल शाम मौसम ने करवट बदली और हल्की बूंदाबांदी हुई, जिससे मौसम सुहावना हो गया और पारे में गिरावट दर्ज की गई। इधर, दून में भी शाम को हल्की हवाएं चलने से गर्मी से कुछ राहत महसूस की गई। मौसम विभाग के अनुसार उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में बारिश आज भी हो सकती है। शेष राज्य में मौसम साफ है ।
28 मई से दून समेत प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बारिश और अंधड़ की संभावना है। इस दौरान पहाड़ों में बारिश और ओलावृष्टि, जबकि मैदानी क्षेत्रों में तेज हवाओं के साथ बौछारें पड़ सकती हैं।
डस्टी-हेज से अदृश्य हुई मसूरी
तेजी से बढ़े तापमान से दून में वातावरण शुष्क हो गया है, जिससे धूल के कण वातावरण में उडऩे लगते हैं। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि इसे डस्टी-हेज कंडीशन कहते हैं। जब बड़ी मात्रा में धूल के कण आसमान में एक परत बना लेते हैं और दृश्यता घट जाती है। इस समय दून में भी यही हुआ है।
धुंध की परत के कारण मसूरी की पहाडिय़ां नहीं दिख रही हैं। यह बारिश के बाद ही स्पष्ट दिखाई देंगीं। बताया कि धुंध एक वायुमंडलीय घटना है, जहां हवा में धूल, धुएं और सूखे कण आकाश की स्पष्टता को अस्पष्ट करते हैं। वायुमंडलीय अस्पष्टता के कई कारक होते हैं। इनमें धुंध, कोहरा, धूल, रेत, आग का धुआं आदि शामिल हैं।
विभिन्न शहरों में तापमान
शहर------------अधिकतम--------न्यूनतम
देहरादून-----------39.8------------21.2
उत्तरकाशी--------29.2------------17.5
मसूरी--------------27.8------------18.0
टिहरी--------------28.6------------15.2
हरिद्वार-----------41.2------------22.3
जोशीमठ----------27.2------------16.2
पिथौरागढ़---------32.3------------16.7
अल्मोड़ा-----------31.4------------17.6
मुक्तेश्वर----------29.1------------15.3
नैनीताल-----------29.6------------19.0
यूएसनगर---------41.0------------20.2
चंपावत------------30.7------------18.7
मानसून के मद्देनजर शासन ने जारी की एडवाइजरी
दक्षिण-पश्चिम मानसून के आने में भले ही अभी वक्त हो, लेकिन शासन अभी से सक्रिय हो गया है। इस क्रम में शासन ने सभी जिलाधिकारियों को एडवाइजरी जारी की है। इसमें मानसून सीजन में अतिवृष्टि, बाढ़, भूस्खलन और नदियों का जलस्तर बढ़ने के मद्देनजर विशेष सतर्कता बरतने, पूर्व तैयारी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
उधर, आपदा के मद्देनजर राज्य व जिला स्तरीय मॉक अभ्यास के लिए शासन ने 14 लाख रुपए की राशि जारी की है। इसमें सभी जिलों व एसडीएमए को एक-एक लाख की राशि दी गई है। सचिव आपदा प्रबंधन अमित नेगी की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी जिलों में प्राथमिकता के अनुसार भूस्खलन, बाढ़ आदि से संबंधित संवेदनशील स्थलों का चिह्नीकरण कर वहां के नजदीकी स्थानों में आपदा राहत संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली जाए।
साथ ही मानसून अवधि में जिला आपातकालीन परिचालन केंद्रों और बाढ़ नियंत्रण केंद्रों को सातों दिन चौबीसों घंटे संचालित करने, जिला स्तर पर प्रत्येक विभाग से समन्वय के लिए नोडल अधिकारी नामित करने, आइआरएस सिस्टम से जुड़े अधिकारियों से समन्वय रखने, नदियों के बहाव पर निरंतर नजर रखने, बादल फटना, भू-स्खलन, बाढ़ जैसी स्थिति में समय से पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित करने, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खनन रोकने, मौसम की जानकारी का प्रचार-प्रसार करने समेत अन्य कदम उठाने को कहा गया है।
विशेष रूपरेखा बनाने के निर्देश
एडवाइजरी में हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल व देहरादून जिलों में बाढ़ सुरक्षा से संबंधित तैयारी की विस्तृत रूपरेखा तैयार करने को भी कहा गया है। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में समय पर मानसून अवधि के लिए खाद्यान्न की व्यवस्था सुनिश्चित करने और नेपाल सीमा से लगे क्षेत्रों में बाढ़ की संभावना के मद्देनजर कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।