इस बार सादगी के साथ होगी भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड
कोरोना के बढ़ते खतरे से भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) भी सशकित है। ऐसे में 13 जून को होने वाली पासिंग आउट परेड भी इस बार अपने पारम्परिक रंग में नहीं दिखेगी।
By Edited By: Published: Wed, 27 May 2020 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 07:19 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। कोरोना का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है, जिससे आम और खास कोई भी अछूता नहीं रहा है। यहां तक कि सशस्त्र सेनाओं के अभेद तंत्र को भी वायरस ने भेद दिया है। ऐसे में सेना और अर्द्ध सैन्य बलों की कई अहम गतिविधियों पर विराम लगा हुआ है। कोरोना के बढ़ते खतरे से भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) भी सशकित है। ऐसे में 13 जून को होने वाली पासिंग आउट परेड भी इस बार अपने पारम्परिक रंग में नहीं दिखेगी। परेड में इस बार आइएमए कैडेटों के स्वजन भी शिरकत नहीं करेंगे। यह पहली बार है जब आइएमए परेड सिर्फ रस्मअदायगी तक सीमित रहेगी।
बता दें, पासिंग आउट परेड में काफी बड़ी संख्या में देश-विदेश के युवा कैडेट पास आउट होते हैं। न केवल कैडेटों के परिवार के लोग बल्कि देश विदेश से कई गणमान्य लोग परेड में शिरकत करते हैं, लेकिन अभी जिस तरह की स्थिति है लोगों को शारीरिक दूरी के नियमों का सख्ती से पालन करने को कहा जा रहा है। ऐसे में अकादमी प्रबंधन ने भी पीओपी के तहत होने वाली विभिन्न गतिविधियों को सीमित कर दिया है। परेड का स्वरूप इस बार भव्य नहीं, बल्कि रस्मअदायगी तक सीमित रहेगा, जिसमें कोरोना को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी का भी पूरा पालन किया जाएगा।
बताया गया कि इस बार जेंटलमैन कैडेटों के अभिभावक और नाते-रिश्तेदार भी परेड में शिरकत नहीं करेंगे। इतना ही नहीं अन्य लोगों की भी संख्या सीमित रखी जाएगी। यही नहीं निरीक्षण अधिकारी भी वेब काफ्रेंसिंग के माध्यम से परेड से जुड़ सकते हैं। दून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में न केवल देश बल्कि विदेश के भी जेंटलमैन कैडेटों को प्रशिक्षण दिया जाता है। अकादमी की स्थापना से लेकर अब तक देश विदेश की सेनाओं को 62 हजार 139 युवा अफसर मिल चुके हैं। इनमें मित्र देशों के 2413 युवा अफसर भी शामिल हैं। वर्तमान में अकादमी में भारत के अलावा अफगानिस्तान, तजाकिस्तान, मालदीव, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फिजी आदि मित्र देशों के भी कैडेट सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
सैन्य प्रशिक्षण पूरा करने के बाद यह कैडेट पास आउट होकर अपने-अपने देश की सेना का अभिन्न अंग बनते हैं। इसके लिए अकादमी में प्रतिवर्ष जून और दिसंबर में पासिंग आउट परेड आयोजित की जाती है। अकादमी के स्थापना से ही यह परंपरा निरंतर चली आ रही है। पहले की तुलना में पिछले डेढ़-दो दशक से अकादमी में आयोजित होने वाली परेड को भव्य स्वरूप दिया गया है। इसीलिए देश-दुनिया की नजर पीओपी पर टिकी रहती है। वहीं निरीक्षण अधिकारी के तौर पर भारत या अन्य मित्र देशों के राष्ट्रपति/राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री या फिर सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख अकादमी पहुंचते रहे हैं, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण का प्रभाव पीओपी की स्थापित परंपराओं भी पड़ेगा।
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