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लॉकडाउन के दौरान बच्चों के व्यवहार में आ रहा बदलाव, इन बातों का भी रखें खास ख्याल

लॉकडाउन के दौरान बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव आ रहा है। ऐसे में अभिभावकों को ज्यादा से ज्यादा समय उनके साथ बिताना चाहिए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 12:44 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 12:44 PM (IST)
लॉकडाउन के दौरान बच्चों के व्यवहार में आ रहा बदलाव, इन बातों का भी रखें खास ख्याल
लॉकडाउन के दौरान बच्चों के व्यवहार में आ रहा बदलाव, इन बातों का भी रखें खास ख्याल

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश में लॉकडाउन लागू हुए दो माह बीत चुके हैं। समाज को सुरक्षित रखने के लिए लगाए गए इस प्रतिबंध ने लोगों को मानसिक तौर पर थका दिया है। बीते दिनों जब तमाम ढीलों के साथ लॉकडाउन के चौथे चरण की घोषणा हुई तो लोगों को उम्मीद थी कि कुछ दिनों में जनजीवन कोरोना के आगमन से पहले की तरह ही पटरी पर दौड़ने लगेगा। लेकिन, प्रवासियों की आमद के साथ एकाएक बढ़े संक्रमण ने हालात इस कदर खराब कर दिए हैं कि फिलहाल घर में रहना ही सबसे सुरक्षित है।

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लंबे वक्त से घर में ही रहने का कुछ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बच्चे भी इससे खासे प्रभावित हैं। स्कूल, पार्क, चिड़ियाघर और म्यूजियम जैसी हर वो जगह इस समय बंद है, जहां बच्चों को अपनी ऊर्जा और रचनात्मक कौशल दिखाने का मौका मिलता है। वह दोस्तों से भी नहीं मिल पा रहे। ऐसे में उनमें तनाव और मानसिक अवसाद बढ़ रहा है। जिससे उनके व्यवहार में विभिन्न बदलाव आने के साथ ही चिड़चिड़ाहट और उग्रता देखी जा रही है। रोजाना कई अभिभावक ऐसी शिकायतें लेकर मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं।

इन बातों का रखें विशेष ख्याल

  • बच्चों के साथ रचनात्मक और इनडोर खेल खेलें।
  • भावनात्मक मजबूती बढ़ाने के लिए उनके साथ समय बिताएं।
  • बच्चों को व्यायाम, योगा आदि कराएं और उनके साथ खुद भी ऐसा करें।
  • खाने में बदलाव करने की कोशिश करें।
  • इंटरनेट को ज्ञान के खजाने की तरह इस्तेमाल करें।
  • बच्चों के सामने झगड़ा न करें।
  • बच्चों की उनके शिक्षकों और दोस्तों से समय-समय पर बात कराएं।
  • बच्चों को चित्रकारी समेत अन्य नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित करें।

मनोचिकित्सकों की सलाह

एनआइईपीवीडी में क्लीनिकल साइकोलॉजी विभागाध्यक्ष सुरेंद्र धलवाल का कहना है कि अभिभावक बच्चों को जितना ज्यादा समय देंगे, वह उतने स्वस्थ रहेंगे। अगर वह कोई खेल खेलना चाहते हैं तो उनके साथ उन्हीं की उम्र के हिसाब से बर्ताव करें। खेल के नियम बच्चों को ही बनाने दें। इस तरह बच्चे अच्छा महसूस करने लगेंगे। मेरे पास खुद कई अभिभावक बच्चों के उत्साह में कमी और तनावग्रस्त होने की शिकायत लेकर आ रहे हैं। ऐसे समय में बच्चों को भावनात्मक और रचनात्मक तौर पर मजबूत करना ही सबसे बेहतर विकल्प है।

मनोचिकित्सक डॉ. मुकुल कुमार ने बताया कि रोजाना कई अभिभावक बच्चों के व्यवहार में बदलाव की शिकायत लेकर आ रहे हैं। ऐसे समय में बच्चों को व्यस्त रखने के लिए इनडोर खेलों के साथ ही मनोरंजन के अन्य साधनों से उन्हें जोड़ना सबसे बेहतर विकल्प है। इसके अलावा दादी-दादा, नाना-नानी व अन्य रिश्तेदार भी उन्हें भावनात्मक और रचनात्मक तौर पर मजबूत करने में योगदान दे सकते हैं।

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अभिभावकों की बात

अधोईवाला में रहने वाली प्रीति यादव ने बताया कि उनकी बड़ी बेटी समीपता यादव छठी कक्षा में पढ़ती है। वैसे तो ऑनलाइन कक्षाओं में कुछ घंटे बिताने के बाद खाली समय में वह चित्रकारी और कविताएं लिखने में व्यस्त रहती है। लेकिन, अपने स्कूल और दोस्तों को बहुत याद करती है।

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पटेल नगर निवासी मनप्रीत कौर ने बताया कि उनकी बेटी जसलीन कौर यूकेजी में है। जब से लॉकडाउन लागू हुआ है, उसकी नियमित दिनचर्या बिगड़ गई है। रात को देर से सोना, सुबह देर से जागना, खाने में न-नुकुर करना और बात-बात पर जिद करना उसकी आदतों में शामिल हो गया है। दोस्तों के पास खेलने और बाहर घूमने न जा पाने के कारण उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन शामिल हो रहा है।

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