coronavirus ने तोड़ी अर्थ व्यवस्था की कमर, चारधाम यात्रा को लेकर सरकार चिंतित
पर्यटन पर भी कोरोना वायरस के संक्रमण की मार पड़ी है। पर्यटन विभाग ने विश्वविख्यात टिहरी झील महोत्सव भी स्थगित कर दिया गया है। वहीं चारधाम यात्रा को लेकर भी सरकार चिंतित है।
देहरादून, विजय जोशी। उत्तराखंड में पर्यटन पर भी कोरोना वायरस के संक्रमण की मार पड़ी है। यहां पर्यटकों की आवाजाही तो बंद है ही, पर्यटन विभाग ने विश्वविख्यात टिहरी झील महोत्सव भी स्थगित कर दिया गया है। इस महोत्सव में देशी-विदेशी पर्यटकों का जमघट हर साल मार्च माह में होता रहा है, जिससे सबसे ज्यादा फायदा स्थानीय लोगों को होता है। अब चारधाम यात्रा को लेकर प्रदेश सरकार चिंतित है। क्योंकि चारधाम यात्रा में काफी तीर्थयात्री केदारनाथ, बदरीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम आते हैं।
आगामी 29 अप्रैल से चारधाम यात्र शुरू होने वाली है। कोरोना वायरस के साये में सरकार को चारधाम यात्रा कराने की चुनौती से पार पाना होगा। प्रदेश सरकार को तीर्थयात्रियों के लिए खास इंतजाम करने होंगे। हालांकि, चारधाम यात्रा में अभी समय है और उम्मीद है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही कोरोना का प्रकोप समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद उत्तराखंड का पर्यटन फिर पटरी पर लौट आएगा और चार धामयात्रा भी शुरू हो जाएगी।
कारोबार पर कोरोना असर
कोरोना ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। ऐसे में भारत में भी कारोबार पर इसका बेहद बुरा असर पड़ा है। अगर ये महामारी का प्रकोप ज्यादा दिन रहा तो आने वाला समय और कठिन हो सकता है। ख़तरा सिर्फ कारोबार में घाटे का नहीं है, नौकरियां जाने का भी है। होटल कारोबार, टूर एंड ट्रैवल कंपनी और एयरलाइंस पर इतना बुरा असर पड़ा है कि तीनों सेक्टर में मंदी छा गई है और नौकरियां जाने का खतरा मंडराने लगा है। मार्च और अप्रैल का महीना इंक्रीमेंट का होता है, लेकिन अब नौकरी जाने का खतरा है। होटल और एयरलाइन्स उद्योग के कारोबार में तकरीबन 70 से 80 फीसदी गिरावट आई है। आने वाले महीनों में इसका व्यापक असर दिख सकता है। खुद देहरादून में प्राइवेट नौकरियों के बड़ा संकट पैदा हो सकता है। कोरोना वायरस के कारण फार्मा छोड़ सभी सेक्टर बंद पड़े हैं। प्रोडक्शन शून्य है।
शिक्षण संस्थाओं की सूरत
संसाधनों के अभाव में उच्च शिक्षा का स्तर नहीं उठ पा रहा है। राज्य में सरकारी डिग्री कॉलेजों की संख्या 105 है। मगर इनमें से बड़ी संख्या में कॉलेजों के पास अच्छी लाइब्रेरी, लैबोरेट्री तो दूर की बात, अपने भवन तक नहीं हैं। संसाधनों के नाम पर इन कॉलेजों को यूजीसी से अनुदान तक नसीब नहीं हो पा रहा है। सरकार के तो कहने क्या, अब स्वास्थ्य के मोर्चे पर पैसा लगाए तो शिक्षा के लिए नहीं बचता। खैर, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के माध्यम से अच्छी-खासी केंद्रीय मदद मिलने के बाद कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की सूरत बदलने की उम्मीद बंधी है। कुछ माह पूर्व विश्व बैंक ने राज्य सरकार को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के संकेत दिए। हालांकि, विश्व बैंक ने साफ कर दिया कि ठोस और कारगर एक्शन प्लान के बगैर मदद नहीं मिलेगी। सरकार को एक ठोस प्लान तैयार कर भरोसा जीतना होगा।
शिक्षा पर भी लॉकडाउन
वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। लोग घरों में कैद हैं। अर्थव्यवस्था के साथ रोजमर्रा की जिंदगी पूरी तरह से प्रभावित है। वहीं शिक्षा पर भी कोरोना वायरस का बुरा असर पड़ा है। सभी स्कूल, कॉलेज पूरी तरह बंद कर दिए गए हैं। परीक्षाएं रद करने के साथ ही शैक्षणिक सत्र आगे खिसक गया है। शैक्षणिक सत्र में ढाई महीने की देरी होना तय दिख रही है।
हर वर्ष जहां परीक्षा के बाद और गर्मियों की छुट्टियों के पहले विद्यार्थी आधा महीने पढ़ लेते थे, लेकिन इस वर्ष एक अप्रैल के बजाय 15 जून से ही पढ़ाई शुरू हो जाएगी। अब इस बीच बच्चों को पढ़ाई का कितना नुकसान होगा, ये आकलन तो मुश्किल है। लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि इस कोरोना वायरस की महामारी से जल्द ही हमें निजात मिल जाएगी। हालात सामान्य होंगे तो छात्र भी अपने हिसाब से नए सत्र की तैयारी कर सकेंगे, फिलहाल तो दिक्कत बरकरार है।