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चार साल से लटकी परीक्षा हुई, तो कम होने की बजाय बढ़ी युवाओं की परेशानी

चार साल से लटकी फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती परीक्षा हुई तो युवाओं की परेशानी और बढ़ गई। परीक्षा का इंतजार कर रहे युवाओं को ऐसा झटका लगा कि वो कुछ समझ ही नहीं पाए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 02:29 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 02:29 PM (IST)
चार साल से लटकी परीक्षा हुई, तो कम होने की बजाय बढ़ी युवाओं की परेशानी
चार साल से लटकी परीक्षा हुई, तो कम होने की बजाय बढ़ी युवाओं की परेशानी

देहरादून, विजय जोशी। चार साल से लटकी फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती परीक्षा हुई तो युवाओं की परेशानी और बढ़ गई। परीक्षा का इंतजार कर रहे युवाओं को ऐसा झटका लगा कि वो समझ नहीं पा रहे हैं, कि हो क्या रहा है? रोजगार की तलाश में युवा दर-दर भटक रहे हैं। सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करते हैं तो भर्ती नहीं आती। भर्तियां होती भी हैं तो पद इतने कम की चंद बेरोजगारों को ही मौका मिल पाता है। वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड के पदों पर भर्ती निकली तो हजारों युवाओं को एक उम्मीद जगी, मगर सरकारी सिस्टम के चलते परीक्षा ही सालों लटकी रही। बीते दिनों अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने परीक्षा कराई। मगर परीक्षा में गड़बड़ी पकड़ी गई। हड़कंप मचा तो जांच शुरू हुई और कुछ मुकदमे और गिरफ्तारियां भी हुईं। इस सब के बीच परीक्षा को रद मानते हुए दोबारा कराने की भी सुगबुगाहट होने लगी। फंसे बेचारे युवा। 

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ट्रैफिक नियमों की अनदेखी 

विडंबना ही कहा जाएगा कि जिन युवाओं पर समाज को आगे ले जाने की जिम्मेदारी है, वही अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते। ट्रैफिक नियमों को लेकर तो युवाओं की समझ वाकई हैरानी करती है। किसी भी सड़क से गुजरिए, सहज ही आपको युवा बेतरतीब गाड़ी चलाते, चौहरों पर नियमों की धज्जियां उड़ाते मिल जाएंगे। नियमों की जानकारी होने के बावजूद युवा अपनी मर्जी से सड़कों पर चलने के शौकीन जो होते हैं। औरों से अलग और आगे रहना है, इसलिए लहराते और कट मारते हुए बाइक को निकाल लिया जाए।

यहीं नहीं, हूटर और हॉर्न से तो आसपास के वाहन सवारों को डरा ही डालते हैं। कुछ युवा तो हेलमेट पहनना भी अपनी तौहीन समझते हैं। हेयर स्टाइल न खराब हो जाए। दुर्घटना में जान चली जाए तो क्या पर हेलमेट का बोझ कौन उठाए? युवाओं को जिम्मेदारी का अहसास नहीं है, इसलिए पुलिस या वरिष्ठजनों को उन्हें पाठ पढ़ाना होगा। 

पदोन्नति की बड़ी आस 

महीनों से विभागों में पदोन्नति पर रोक है। ऐसे में युवा अधिकारियों और कर्मचारियों के पदोन्नति के अरमान भी ठंडे पड़े हैं। पदोन्नति पर रोक कारण आरक्षण व्यवस्था लागू करने और समाप्त करने के बीच हो रही जद्दोजहद है। एससी-एसटी वर्ग पदोन्नति में आरक्षण की मांग कर रहा है, जबकि जनरल ओबीसी वर्ग इस व्यवस्था को समाप्त करने की। सरकार भी असमंजस में है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण को मौलिक अधिकार न मानते हुए राज्य सरकार पर इस संबंध में निर्णय लेने का अधिकार छोड़ा है। पर सरकार भी उलझ गई है। आरक्षण दें तो दिक्कत न दें तो दिक्कत। ऐसे में दोनों ही वर्गों के युवा कार्मिक भी पदोन्नति की उम्मीद लगाए बैठे हैं। दूसरी ओर दोनों ही वर्गों की ओर से किए जा रहे आंदोलनों ने पदोन्नति का मार्ग खेलने में और भी रोड़ा डाल दिया है। अब देखना होगा, सरकार क्या फैसला लेती है। 

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ड्रोन दुनिया में करियर 

ड्रोन कैमरों का चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए ड्रोन की दुनिया में करियर की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। ड्रोन कैमरों के संचालन से लेकर इनके निर्माण और विक्रय के साथ ही रिपेयर का कार्य भी रोजगार दे रहा है। ड्रोन कैमरों का उपयोग शादी-समारोह से लेकर सुरक्षा व्यवस्था में किया जा रहा है। सरकारी आयोजनों में तो निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे जरूरी हो गए हैं। यही वजह है कि इनके संचालन की भी जिम्मेदारी अहम हो गई है।

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ड्रोन तकनीक के साथ नए-नए प्रयोग करने वाले तकनीकी शिक्षा के छात्रों की भी कमी नहीं है। यह विज्ञान के छात्रों के लिए भी रोजगार के द्वार भी खोल रहा है। आइटी पार्क में आयोजित ड्रोन मेले में युवाओं की संख्या ने इसकी तस्दीक की कि युवा ड्रोन तकनीक में कितनी दिलचस्पी ले रहे हैं। यहां छात्रों ने ड्रोन के संबंध में अपनी तमाम जिज्ञासाएं भी शांत कीं। 

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