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मुख्यमंत्री आवास कूच कर गरजे जनरल-ओबीसी कर्मचारी, 26 को मशाल जुलूस; दो मार्च से बेमियादी हड़ताल

उत्तराखंड जनरल ओबीसी इम्प्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले बड़ी संख्या में कर्मचारी परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए। यहां उन्‍होंने मुख्यमंत्री आवास कूच कर अपनी ताकत दिखाई।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 03:30 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 08:20 PM (IST)
मुख्यमंत्री आवास कूच कर गरजे जनरल-ओबीसी कर्मचारी, 26 को मशाल जुलूस; दो मार्च से बेमियादी हड़ताल
मुख्यमंत्री आवास कूच कर गरजे जनरल-ओबीसी कर्मचारी, 26 को मशाल जुलूस; दो मार्च से बेमियादी हड़ताल

देहरादून, जेएनएन। राज्य भर के जनरल-ओबीसी कर्मचारी गुरुवार को परिवार के साथ एक बार फिर सड़क पर उतरे। परेड ग्राउंड से केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का पुतला लेकर मुख्यमंत्री आवास कूच किया। हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग पर रोके जाने से भड़के कर्मचारियों ने पुलिस से जमकर धक्का-मुक्की भी की। केंद्रीय मंत्री का पुतला फूंकने के बाद सड़क पर धरने पर बैठ गए और सभा शुरू कर दी। सरकार को दस दिन का आखिरी अल्टीमेटम देते हुए कर्मचारी नेताओं ने कहा कि बिना आरक्षण पदोन्नति बहाल नहीं हुई तो 26 फरवरी को जिला मुख्यालयों पर मशाल जुलूस निकालने के बाद दो मार्च से बेमियादी हड़ताल पर चले जाएंगे। तीन मार्च से गैरसैंण में होने वाले विधानसभा सत्र का भी बहिष्कार करेंगे।

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14 फरवरी को प्रदेशव्यापी सामूहिक कार्य बहिष्कार के बाद बिना आरक्षण पदोन्नति बहाल न करने पर कर्मचारियों का आक्रोश और बढ़ गया है। शासनादेश जारी न होने पर गुरुवार को उत्तराखंड जनरल-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनर तल हजारों की संख्या में कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री आवास कूच कर फिर से सरकार को अपनी ताकत का अहसास कराया। सचिवालय समेत पौड़ी, टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी से लेकर प्रदेश के सभी जिलों से आए हजारों कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यहां से दोपहर करीब 12 बजे कतारबद्ध होकर कनक चौक, एस्लेहाल चौक, दिलाराम चौक होते हाथीबड़कला पहुंचे। यहां तैनात पुलिस बल ने उन्हें रोक लिया। जिस पर सभी कर्मचारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए।

इसके बाद शुरू हुई सभा में एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष दीपक जोशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए 13 दिन से अधिक बीत गए, लेकिन सरकार वोट बैंक की राजनीति कर रही है। जबकि यह मामला केवल कर्मचारियों से जुड़ा है। अब हीलाहवाली बर्दाश्त से बाहर हो गई है। लिहाजा बेमियादी हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। प्रांतीय महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसाईं ने कहा कि हम तब तक शांत नहीं बैठेंगे, जब तक सरकार बिना आरक्षण पदोन्नति का शासनादेश जारी नहीं कर देती। अखिल भारतीय समानता मंच के राष्ट्रीय महासचिव वीपी नौटियाल ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण खत्म करने को लेकर 2012 से चल रही लड़ाई अब अंतिम दौर में है, ऐसे में यदि सरकार दमनात्मक कार्रवाई करती है तो डरने के बजाय, डटकर मुकाबला करना होगा। ताकि आने वाली पीढिय़ों के सामने हम सिर उठाकर खड़े हो सकें।

सभा में फेडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कोठारी, पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार, महामंत्री पंचम सिंह बिष्ट, राजकीय वाहन चालक संघ के प्रदेश महामंत्री संदीप मौर्य व अन्य संगठनों के नेताओं ने कहा कि कर्मचारियों की एकता दिखाती है कि आने वाले समय में सरकार को बड़ी कीमत चुकानी होगी। जनरल-ओबीसी कर्मचारियों के आंदोलन को राज्य आंदोलनकारी, गोर्खाली सुधार सभा, उत्तराखंड क्रांति दल समेत निगम कर्मियों का भी समर्थन मिला और उनके नेता कूच में शरीक भी हुए।

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त्रिवेंद्र सिंह रावत (मुख्यमंत्री, उत्तराखंड) का कहना है कि  सब अपने ही लोग हैं। बातचीत से हर समस्या का समाधान निकल आता है। इस विषय पर भी कर्मचारियों से बात कर समस्या का जल्द समाधान निकाल लिया जाएगा।

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