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सरकारी कार्मिक नहीं कर सकते हैं प्रॉपर्टी डीलिंग, पढ़िए पूरी खबर

सरकारी कार्मिक आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए प्रॉपर्टी डीलिंग नहीं कर सकते हैं। सूचना आयोग के समक्ष एक अपील की सुनवाई में यह बात सामने आई।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 07:09 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 08:17 PM (IST)
सरकारी कार्मिक नहीं कर सकते हैं प्रॉपर्टी डीलिंग, पढ़िए पूरी खबर
सरकारी कार्मिक नहीं कर सकते हैं प्रॉपर्टी डीलिंग, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, सुमन सेमवाल। सरकारी कार्मिक आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए जमीनों की खरीद-बिक्री (प्रॉपर्टी डीलिंग) नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्हें कोई भी जमीन खरीदने या बेचने के लिए जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा-157 ए के तहत जिलाधिकारी से अनुमति प्राप्त करनी होती है। सूचना आयोग के समक्ष एक अपील की सुनवाई में यह बात सामने आई। राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने विकासनगर तहसील में तैनात एक कार्मिक के जमीनों के क्रय-विक्रय में लिप्त होने के मामले में जिलाधिकारी को जांच कर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया। 

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विकासनगर में रहने वाले आशीष कुमार ने विकासनगर तहसील में चैनमेन के पद पर तैनात किरन देवी की शंकरपुर में नवंबर 2018 में खरीदी गई 1447 वर्गगज जमीन को लेकर आरटीआइ में सूचना मांगी थी। तय समय के भीतर सूचना न मिलने पर मामला सूचना आयोग पहुंचा। जिसकी सुनवाई में राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने पाया कि किरन देवी को वर्ष 2008 से 2013 के बीच छह बार जिलाधिकारी कार्यालय से जमींदारी विनाश अधिनियम के तहत भूमि के क्रय-विक्रय की अनुमति दी गई।

ऐसे में इस बात की प्रबल आशंका है कि वह अधिनियम की मूल भावना का दुरुपयोग यह कार्य लाभ प्राप्त करने के लिए व्यवसाय के रूप में कर रही हैं। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि वर्ष 2013 के बाद 2019 तक किरन देवी ने इसके अतिरिक्त भी कहीं जमीन खरीदी और बेची होगी। क्योंकि, 2018 में खरीदी भूमि की भी अनुमति के प्रमाण नहीं मिले हैं। 

आयोग ने जिलाधिकारी/जिला भूमि व्यवस्थाधिकारी को निर्देश दिया कि वह किरन देवी के सेवा नियमावली के विपरीत किए जा रहे भूमि के कारोबार की जांच कर लें। इसके साथ ही नियमानुसार कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। 

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लोक सूचनाधिकारी ने गलत पटल पर अंतरित किया पत्र 

चैनमेन किरन देवी के भूमि खरीद को लेकर आरटीआइ का जो आवेदन दाखिल किया गया था, उसे लोक सूचनाधिकारी ने ऐसे पटल पर अंतरित किया, जहां सूचना धारित ही नहीं थी। लिहाजा, पहले सूचना शून्य बताई गई। आयोग ने इस पर विकासनगर तहसील के लोक सूचनाधिकारी/मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को भविष्य के लिए सचेत भी किया। आयोग की सख्ती के बाद लोक सूचनाधिकारी ने कलक्ट्रेट से सूचना मांगी। 

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