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उत्तराखंड में डेंगू के कहर के बीच अब स्वाइन फ्लू की दस्तक, एक मरीज में पुष्टि; जानिए लक्षण

कौलागढ़ के एक अधेड़ में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। उनका एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 08:47 PM (IST)
उत्तराखंड में डेंगू के कहर के बीच अब स्वाइन फ्लू की दस्तक, एक मरीज में पुष्टि; जानिए लक्षण
उत्तराखंड में डेंगू के कहर के बीच अब स्वाइन फ्लू की दस्तक, एक मरीज में पुष्टि; जानिए लक्षण

देहरादून, जेएनएन। स्वास्थ्य के मोर्चे पर दून पर दोहरी मार पड़ गई है। डेंगू का प्रकोप अभी कम नहीं हुआ और अब स्वाइन फ्लू ने भी दस्तक दे दी है। कौलागढ़ निवासी 52 वर्षीय व्यक्ति में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। वह सिनर्जी अस्पताल में भर्ती हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि स्वाइन फ्लू को लेकर अस्पतालों को एडवाजरी जारी कर दी गई है। 

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जनपद देहरादून में डेंग ने इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक दो हजार से ज्यादा मरीजों में डेंग की पुष्टि हो चुकी है। जबकि निजी अस्पतालों व लैब का आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है। डेंगू की रोकथाम में सरकारी तंत्र नाकाम रहा है। इधर, डेंगू का संकट अभी टला भी नहीं था कि स्वाइन फ्लू का भी मामला सामने आ गया है। कौलागढ़ निवासी एक 52 वर्षीय व्यक्ति में  स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है।

सीएमओ ने बताया कि मरीज को गत पांच सितंबर को हार्ट फेल्योर पर सिनर्जी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। श्वास संबंधी दिक्कत व स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने पर उनके रक्त के नमूना दिल्ली स्थित एनसीडीसी लैब भेजा गया। सोमवार शाम को आई रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। मरीज की हालत स्थिर है और उनका उपचार चल रहा है। वहीं, सभी अस्पतालों को हिदायत दी गई है कि किसी भी मरीज में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत सूचना दें और सैंपल जांच के लिए भेजे जाएं। 

इनको अधिक खतरा 

स्वाइन फ्लू से ज्यादा खतरा 50 वर्ष से ज्यादा आयु के व्यक्ति, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिला को होने की संभावना रहती है।

548 मामले, 38 की हुई थी मौत 

मौसम में बदलाव की आहट के साथ स्वाइन फ्लू ने फिर दस्तक दे दी है। ठंड बढऩे के साथ ही वायरस अधिक सक्रिय होता जाएगा। समस्या ये है कि यह संक्रामक रोग है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जल्द फैलता है। इस साल शुरुआत में भी स्वाइन फ्लू ने प्रदेश में जमकर कहर बरपाया था। इस साल मार्च तक प्रदेशभर में स्वाइन फ्लू के 548 मामले सामने आए थे। जिनमें 38 की मौत भी हो गई थी। स्वाइन फ्लू के सर्वाधिक 519 मामले देहरादून से थे। जबकि हरिद्वार में 26 लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। इस वक्त जब स्वास्थ्य विभाग डेंगू के मोर्चे पर पस्त होता दिख रहा है, स्वाइन फ्लू ने अधिकारियों की बेचैनी बढ़ा दी है।

क्या है स्वाइन फ्लू 

स्वाइन फ्लू, इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1एन1 कहा जाता है। इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था, क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तीमारदारों को भी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाए रखना चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए। 

स्वाइन फ्लू के लक्षण 

नाक का लगातार बहना, छींक आना कफ, कोल्ड और लगातार खांसी मासपेशियों में दर्द या अकड़न सिर में भयानक दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना, गले में खराश का लगातार बढ़ते जाना।  

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ऐसे करें बचाव 

स्वाइन फ्लू से बचाव इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय है। इसका उपचार भी मौजूद है। लक्षणों वाले मरीज को आराम, खूब पानी पीना चाहिए। शुरुआत में पैरासिटामॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढ़ने पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।

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