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उत्तराखंड में सेमस्टर सिस्टम को लेकर सवा लाख छात्रों में असमंजस

चालू शिक्षा सत्र के दौरान राज्य के सरकारी महाविद्यालयों से स्नातक स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम को लेकर छात्रों में भ्रम की स्थिति है। उच्च शिक्षा अधिकारी भी इस पर जवाब से बच रहे हैंं।

By BhanuEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 12:18 PM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 12:18 PM (IST)
उत्तराखंड में सेमस्टर सिस्टम को लेकर सवा लाख छात्रों में असमंजस
उत्तराखंड में सेमस्टर सिस्टम को लेकर सवा लाख छात्रों में असमंजस

देहरादून, अशोक केडियाल। चालू शिक्षा सत्र के दौरान राज्य के सरकारी महाविद्यालयों से स्नातक स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम समाप्त होगा या फिर अगले शिक्षा सत्र से सरकार इसे लागू करेगी इसे लेकर हजारों विद्यार्थी भ्रमित हैं। छात्र ही नहीं राजकीय विवि और उच्च शिक्षा अधिकारी भी छात्र-छात्राओं के सवालों का जवाब देने से बच रहे हैं। 

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प्रदेश सरकार ने छात्र संघ चुनाव के दौरान राज्य के महाविद्यालयों से स्नातक स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम समाप्त करने की घोषणा तो कर दी, लेकिन उसके बाद न विवि को लिखित आदेश भेजे गए और न उच्च शिक्षा निदेशालय को निर्देशित किया गया है। 

श्रीदेव सुमन एवं कुमाऊं विवि के तहत 104 राजकीय महाविद्यालयों में दाखिला प्रक्रिया पूरी होने के बाद कक्षाएं प्रारंभ हो चुकी हैं। ऐसे में सत्र के बीच सेमेस्टर सिस्टम समाप्त कर वार्षिक सिस्टम लागू करने को लेकर विवि अधिकारी कर्मचारी पशोपेस में हैं। प्रदेश के इस विवि में करीब एक लाख, 30 हजार छात्र-छात्राएं स्नातक एवं स्नातकोत्तर में दाखिला लिए हुए हैं। 

छात्रों की समस्या आगे भी बनी रहेगी

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पिछले वर्ष से प्रदेश के कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम का कड़ा विरोध कर रही थी। तर्क दिया गया कि सेमेस्टर सिस्टम की वजह से छात्र-छात्राएं खेलकूद, एनसीसी, एनएसएस जैसे अन्य गतिविधियों में भाग नहीं ले पाते हैं। 

साथ ही सेमेस्टर सिस्टम से समय पर परीक्षा परिणाम नहीं आने से छात्र प्रभावित रहे, समय पर परीक्षा नहीं, गलत तरीके से मूल्यांकन जैसे व्यवहारिक समस्याएं देखी गई। वहीं, शिक्षाविदों का मानना है कि यह परेशानी वार्षिक परीक्षा सिस्टम में भी रही थी जो आगे भी होती रहेंगी। विवि के सिस्टम को अपग्रेड करने की जरूरत थी न कि क्रेडिट बेस्ट च्वाइस सिस्टम (सीबीसीएस) को समाप्त करने की। 

यूओयू में सात प्रोफेशनल कोर्स 

उत्तराखंड मुक्त विवि के अंतर्गत स्नातक एवं स्नातकोत्तर में 88 कोर्सेज चल रहे हैं जो स्नातक व स्नातकोत्तर की डिग्री के अलावा डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट कोर्स भी हैं। विवि के नियमित कोर्स तो वार्षिक सिस्टम से संचालित हैं, लेकिन कंप्यूटर साइंस के छह कोर्स के अलावा एमबीए, एमएसडब्ल्यू, होटल मैनजमेंट, मास कम्युनिकेशन जैसे कोर्सेज यूजीसी से संबद्ध हैं और सेमेस्टर सिस्टम के तहत संचालित है। जबकि यूओयू राज्य सरकार के अधीन है। इस साल विवि में 58,793 छात्र-छात्राओं ने दाखिला ले लिया है।     

अभाविप अडिग

संगठन का का तर्क है कि सेमेस्टर हटना चाहिए और आवश्यक रूप से हटना चाहिए। पिछले माह विद्यार्थी परिषद द्वारा स्नातक स्तर के खिलाफ सचिवालय कूच किया गया था, अभाविप के इस आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. मंत्री धन सिंह रावत ने इसे समाप्त करने की घोषणा की थी। 

छात्र महासंघ अध्यक्ष रमिता रावत कहती हैं कि इस बारे में वह पुन: एक बार उच्चशिक्षा मंत्री से समय लेंगी और इसी सत्र में सेमस्टर प्रणाली को समाप्त करने व अन्य बिंदुओं पर चर्चा करेंगी।

पिछले वर्ष लागू किया सेमेस्टर 

श्रीदेव सुमन विवि की कार्य परिषद और शैक्षिक परिषद की मंजूरी के बाद विवि का सेमेस्टर सिस्टम पिछले वर्ष शिक्षा सत्र में लागू किया गया था। विवि के तहत 53 राजकीय डिग्री कॉलेज सहित 163 संस्थान संबद्ध हैं। 

प्रतिस्पर्धा की क्षमता होगी विकसित 

डीएवी कॉलेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष श्याम सिंह चौहान के अनुसार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग पूरे देश में उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सेमेस्टर सिस्टम पर कार्य कर रहा है। राज्य से बाहर उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने वाले उत्तराखंड के विद्यार्थियों में प्रतिस्पर्धा की क्षमता विकसित होगी। राज्य सरकार वार्षिक परीक्षा सिस्टम में लौटकर छात्रों को ग्लोबल शिक्षा से वंचित कर रही है। 

बगैर होमवर्क के की गई घोषणा 

एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी के मुताबिक, राज्य सरकार ने बिना होमवर्क किए छात्र संघ चुनाव में लाभ लेने की नीयत से प्रदेश के सरकारी कॉलेजों से सेमेस्टर सिस्टम समाप्त करने की घोषणा कर दी। यदि सेमेस्टर सिस्टर अगले साल स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष में दाखिला में लागू होगा तो इसे सरकार को स्पष्ट करना चाहिए। श्रीदेव सुमन व उत्तराखंड मुक्त विवि में एक लाख छात्र असमंजस में हैं। 

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नहीं मिला शासनादेश 

उच्च शिक्षा निदेशक उत्तराखंड डॉ. एससी पंत का कहना है कि अभी तक राज्य सरकार की ओर से सेमेस्टर सिस्टम समाप्त करने जैसा कोई शासनादेश उच्च शिक्षा निदेशालय को नहीं मिला है। आगे क्या होगा इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। सरकार जो निर्णय लेगी प्रदेश के राजकीय कॉलेजों में उसे लागू करवाया जाएगा।

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छात्राओं के लिए समस्या है सेमेस्टर सिस्टम 

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष रमिता रावत के अनुसार, सेमेस्टर सिस्टर की पढ़ाई ग्रामीण परिवेश की विशेषकर छात्राओं की पढ़ाई में रोड़ा है। गांव की छात्राएं प्रतिदिन कॉलेज नहीं आ सकती हैं। एक सेमेस्टर में 90 दिन उपस्थिति अनिवार्य है। ग्रामीण क्षेत्र की कई लड़कियां पहले वार्षिक परीक्षा सिस्टम से गोल्ड मेडल के साथ उत्तीर्ण हुए हैं। मेरी व्यक्तिगत राय है कि आने वाले शिक्षा सत्र से राज्य सरकार सेमेस्टर समाप्त करेगी। 

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