प्रोटोकॉल अधिकारी पद की निरंतरता बढ़ाने का विरोध
उत्तराखंड सचिवालय संघ ने सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय के लिए प्रोटोकॉल अधिकारी के पद की निरंतरता बढ़ाने का विरोध किया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: उत्तराखंड सचिवालय संघ ने सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय के लिए प्रोटोकॉल अधिकारी के पद की निरंतरता बढ़ाने का विरोध किया है। संघ ने इसे बिना प्रक्रिया अपनाए व्यक्ति विशेष के लिए पद सृजित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में पारित निर्णय का उल्लंघन बताया है। वहीं पक्षकार बनाए गए अधिकारी नृपेंद्र तिवारी ने इस मामले में सचिवालय संघ के अध्यक्ष समेत 107 सचिवालय कार्मिकों को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि इस सभी को इसी नियम का उल्लंघन कर सचिवालय में समायोजित किया गया है। इनका मामला अभी न्यायालय में लंबित है। इस पर भी शासन प्रभावी पैरवी करे।
बुधवार को सचिवालय संघ ने अपर सचिव राधा रतूड़ी को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री कार्यालय में अस्थायी रूप से सृजित पद की निरंतरता बढ़ाए जाने का विरोध किया। संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी ने इस पत्र में कहा कि जब यह पद सृजित किया जा रहा था तब भी सचिवालय संघ ने इसका विरोध किया था। तब तत्कालीन मुख्य सचिव के हस्तक्षेप के बाद सृजन आदेश निरस्त किया गया था। हालांकि उच्च न्यायालय ने इस मामले में पद निरस्त के आदेश पर स्टे दिया हुआ है। अब फिर से इस पद की निरंतरता को बढ़ाने की कवायद चल रही है, जिससे सचिवालय सेवा के कार्मिकों में आक्रोश है। शासन इस मामले में उच्च न्यायालय में प्रभावी पैरवी कराए और नृपेंद्र तिवारी को वापस विधानसभा सचिवालय में भेजने के लिए आवश्यक कार्यवाही करे। यदि ऐसा हुआ तो संघ आंदोलन को बाध्य होगा। वहीं, इस मामले में पक्षकार नृपेंद्र तिवारी ने संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी समेत 107 कार्मिकों को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि इन कार्मिकों का संविलयन भी सचिवालय में बिना पद सृजन के हुआ है। इनका मामला भी कोर्ट में लंबित चल रहा है। शासन को इस मामले में भी प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए। सचिवालय सेवा में यदि उनका स्थानांतरण गलत है तो सभी 107 कार्मिक इस दायरे में आते हैं। नियम सभी के लिए समान होने चाहिए।