मियांवाला अंडरपास के तीव्र मोड़ पर उठाए सवाल
मियांवाला अंडरपास पर बनने वाले तीव्र मोड़ पर क्षेत्रवासियों ने सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए बनाई जा रही परियोजना में तीव्र मोड़ से हादसों का ग्राफ बढ़ सकता है।
जागरण संवाददाता, देहरादून : मियांवाला अंडरपास पर बनने वाले तीव्र मोड़ पर क्षेत्रवासियों ने सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए बनाई जा रही परियोजना में तीव्र मोड़ से हादसों का ग्राफ बढ़ सकता है। इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) से मांग की गई कि परियोजना में अतिरिक्त जगह लेकर मोड़ को कम किया जाए। साथ ही यदि पिलर आधारित परियोजना पर विचार किया जाए तो मोड़ कम करने में और आसानी होगी।
क्षेत्रवासी व सामाजिक कार्यकर्ता आरपी कोठारी ने इस संबंध में बिंदुवार तथ्य उठाते हुए कहा कि मियांवाला तिराहे पर अंडरपास के चयन को लेकर यूनिफाइड मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यूटा) से भी अनुमति नहीं ली गई। यदि अनुमति ली जाती तो यूटा भी अंडरपास का विकल्प नहीं देता। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पिलर आधारित परियोजना का निर्माण किया जाए तो इसके नीचे की 100 करोड़ रुपये से भी अधिक लागत की भूमि का प्रयोग जनहित में किया जा सकता है, जबकि अंडरपास बंद होने के चलते इसका उपयोग संभव नहीं। दूसरी तरफ स्थानीय यातायात के घनत्व के मानकों का भी ख्याल नहीं रखा गया। सामाजिक कार्यकर्ता कोठारी ने यह भी आरोप लगाया कि परियोजना को लेकर जो बिंदु उन्होंने उठाए थे, उसका जवाब न तो उत्तराखंड शासन से दिया, न ही एनएचएआइ के अधिकारियों ने। उठाए गए बिंदुओं की जगह मनमुताबिक जवाब देकर जनहित के तर्कों को गलत ढंग से खारिज किया गया है।
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राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने भविष्य में पीएनजी पाइप लाइन, मेट्रो रेल परियोजना, बिजली-पानी की लाइन आदि के लिहाज से भी संबंधित विभागों के साथ समन्वय बनाकर काम नहीं किया है। इससे भविष्य में दिक्कतें खड़ी हो सकती हैं।
उमेश शर्मा काऊ, विधायक रायपुर
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अंडरपास दुलहनी पुल से शुरू होगा, जिसमें मुख्य मार्ग की चौड़ाई 25 मीटर है, जबकि इस पुल की चौड़ाई मोड़ को देखते हुए 38 मीटर रखी गई है। यह मानकों के ही अनुरूप है। दूसरी तरफ स्थानीय लोगों की सुविधा का ख्याल रखते हुए सर्विस लेन की चौड़ाई आठ-आठ मीटर रखी गई है।
प्रदीप गुसाईं, परियोजना निदेशक (एनएचएआइ)