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इस साल शायद ही जारी हो पाएं नए खनन पट्टे, जानिए वजह

केंद्र सरकार की खनन नियमावली-2016 के तहत खनन पट्टों की अनुमति देने के मद्देनजर प्रत्येक जिले में जिला सर्वे रिपोर्ट तैयार होनी है

By Edited By: Published: Sat, 13 Jul 2019 08:05 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 06:03 PM (IST)
इस साल शायद ही जारी हो पाएं नए खनन पट्टे, जानिए वजह
इस साल शायद ही जारी हो पाएं नए खनन पट्टे, जानिए वजह
देहरादून, राज्य ब्यूरो। नदियों में उपखनिज (रिवर बेस्ड मटीरियल) के आकलन को लेकर राज्य का खनन महकमा हीलाहवाली बरत रहा है। केंद्र सरकार की खनन नियमावली-2016 के तहत खनन पट्टों की अनुमति देने के मद्देनजर प्रत्येक जिले में जिला सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) तैयार होनी है। इसके आधार पर ही राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण (सीआ) द्वारा खनन पट्टों के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति (ईसी) जारी की जाएगी। इस क्रम में सीआ की ओर से खनन विभाग को एक माह पहले डीएसआर मुहैया कराने को कहा गया था, मगर उसे यह अभी तक नहीं मिली है। सीआ ने इस पर नाराजगी जताई है और वह खनन विभाग को रिमाइंडर भेज रहा है। सीआ का कहना है कि यदि जल्द डीएसआर न मिली तो इस साल नए खनन पट्टे शायद ही जारी हो पाएं। पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड की नदियों में अब उपखनिज चुगान के लिए खनन पट्टे जारी करने से पहले हर जिले में डीएसआर तैयार होनी आवश्यक है। 
दरअसल, राज्य में निजी खनन पट्टों में अनाप-शनाप चुगान और इससे उत्पन्न दिक्कतें अक्सर सुर्खियां बनती हैं। पूर्व में यह मामला एनजीटी में भी गया, तब एनजीटी ने निर्देश जारी किए थे कि खनन पट्टों के आवंटन में केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2016 में जारी नियमावली के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाए। इस सबके मद्देनजर सीआ ने एक माह पहले राज्य के खनन विभाग को निर्देशित किया कि वह केंद्र की खनन नियमावली का कड़ाई से अनुपालन कराए। 
इसके तहत प्रदेश के हर जिले की नदियों में उपखनिज से संबंधित जिला सर्वे रिपोर्ट जल्द मुहैया कराने को कहा गया। नियमावली के तहत रिपोर्ट में यह बताना होगा कि जिले की नदियों में कहां-कहां और कितना घनमीटर चुगान योग्य आरबीएम (रिवर बेस्ड मटीरियल) है। रिपोर्ट में कारण सहित ये भी बताना है कि किस जगह पर कितना चुगान किया जा सकता है। 
यही नहीं, जहां-जहां भी किसी प्रकार की क्षति होगी, उसकी भरपाई की कार्ययोजना भी खनन विभाग को देनी होगी। सीआ के अध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी के मुताबिक एक माह की अवधि खत्म होने के बाद भी खनन विभाग ने अभी तक डीएसआर उपलब्ध नहीं कराई है। ऐसे में नए खनन पट्टों के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति से जुड़े मसले लटके हुए हैं। उन्होंने बताया कि अब फिर से खनन विभाग को रिमाइंडर भेजा जा रहा है कि यदि जल्द डीएसआर मुहैया नहीं कराई गई तो इस साल खनन पट्टों की पर्यावरणीय स्वीकृति जारी करना मुश्किल होगा। यह है नियम डीएसआर की जांच पड़ताल करने के बाद सीआ संबंधित खनन पट्टे के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति जारी करता है। 
इसके बाद अनुमति का शासनादेश जारी होता है और फिर संबंधित जिले के डीएम और पट्टाधारक के मध्य एग्रीमेंट पर दस्तखत होते हैं। इसके बाद ही खनन पट्टे के क्षेत्र में उपखनिज चुगान शुरू होता है। चुगान शुरू होने के बाद हर छह माह में पट्टाधारक को अपनी रिपोर्ट सीआ को भेजनी आवश्यक है।

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