डेंगू के खिलाफ अस्पताल संगठित, जानिए बचाव के तरीके Dehradun News
कोरोनेशन अस्पताल में भी डेंगू की जांच होगी। दून मेडिकल कॉलेज व कोरोनेशन को सेंटिनल सर्विलांस इकाई के रूप में संगठित किया है। डेंगू से बचाव के तरीके अपनाकर खतरे को कम कर सकते हैैं।
देहरादून, जेएनएन। अब कोरोनेशन अस्पताल में भी डेंगू की जांच शुरू की जाएगी। दून मेडिकल कॉलेज व कोरोनेशन को सेंटिनल सर्विलांस इकाई के रूप में संगठित किया है। अभी तक केवल दून अस्पताल में ही डेंगू की एलाइजा जांच होती है। पर केवल एक जगह जांच होने से काम का अत्याधिक दबाव रहता है। जिस वजह से रिपोर्ट आने में देरी और मरीजों को दिक्कत उठानी पड़ती है।
बीते वर्षों में डेंगू का कहर प्रदेश में इस कदर छाया रहा कि स्वास्थ्य विभाग के भी हाथ-पांव फूल गए। इसका सबसे अधिक असर देहरादून में दिखा। वर्ष 2016 में 1434 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई। यहां तक कि तीन लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। इस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री तक को खुद मैदान में उतरना पड़ा था।
वर्ष 2017 में 366 व गत वर्ष 314 मामले पॉजीटिव पाए गए। इस बार भी डेंगू का डंक परेशानी खड़ी कर सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य महकमा खास सतर्कता बरत रहा है। जिला वीबीडी अधिकारी सुभाष जोशी का कहना है कि विभाग ने पूर्व रणनीति के तहत संभावित क्षेत्रों में जन जागरूकता अभियान चलाना शुरू कर दिया था।
इसके अलावा नगर निगम के स्तर पर फॉगिंग भी की जा रही है। डेंगू की रोकथाम के लिए इंटेंसिव सोर्स डिटेक्शन सर्वे भी अब शुरू किया जा रहा है। दून में 200 से अधिक आशाएं संभावित स्थानों पर जाकर लिस्ट तैयार करेंगी। जिसके बाद नगर निगम छिड़काव करेगा।
डेंगू नियंत्रण को निजी क्षेत्र से बढ़ाएंगे तालमेल
डेंगू की रोकथाम व बचाव को लेकर गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एमएम उप्रेती की पहल पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। एसीएमओ डॉ. केके सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि डेंगू की रोकथाम के लिए सभी विभागों को आपसी तालमेल के साथ काम करना होगा।
इस अभियान में जिस किसी विभाग की जो जिम्मेदारी है, उसे गंभीरता से निभाएं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोग अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखें व पानी जमा न होने दें।
पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एमएम उप्रेती ने कहा कि डेंगू नियंत्रण को लेकर निजी अस्पतालों से तालमेल करने के लिए भी प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि सही संख्या में रोगियों का आकलन हो सके। इससे स्थानीय स्तर पर एक मजबूत रणनीति तैयार करने में भी मदद मिलेगी।
उन्होंने लोगों को रोगों से बचाव के ऐहतियाती कदमों एवं स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास करने को कहा है। आइएमए की दून शाखा के अध्यक्ष डॉ. संजय गोयल ने डेंगू की रोकथाम में हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।
उन्होंने बताया कि सहभागिता बढ़ाने के लिए जल्द निजी चिकित्सकों की एक बैठक आयोजित की जाएगी। गांधी शताब्दी के सीएमएस डॉ. बीसी रमोला ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार रैपिड कार्ड से होने वाली डेंगू की जांच मान्य नहीं है। सिर्फ एलाइजा टेस्ट से होने वाली जांच को ही मान्य माना गया है। इसी जांच से पता चलता है कि मरीज डेंगू पॉजिटिव है या नहीं। उन्होंने चिकित्सकों को हिदायत दी कि डेंगू के लक्षण मिलने पर मरीज का एलाइजा टेस्ट जरूर कराएं और डेंगू के प्रति लोगों को जागरूक करें।
गोष्ठी में दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री, रायपुर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आनंद शुक्ला, वेक्टर जनित रोग अधिकारी सुभाष जोशी, वरिष्ठ नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके सिंह, डॉ. योगेंद्र सहित कोरोनेशन अस्पताल, गांधी शताब्दी के चिकित्सक व नगर निगम के अधिकारी, पर्यवेक्षक व स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
ऐसे करें डेंगू के मच्छर एडीज से बचाव
-डेंगू फैलाने वाला मच्छर साफ पानी में पनपता है। इससे बचने के लिए कूलर आदि का पानी प्रतिदिन या एक दिन छोड़कर बदलें।
-पानी की टंकियों को खुली न रखें।
-बेकार टायर, खाली बर्तन आदि में पानी खड़ा न होने दें, ताकि डेंगू फैलाने वाले मच्छर का लार्वा न पनप सके।
-रात को सोते समय शरीर को ढककर सोएं और मच्छरदानी का प्रयोग करें।
-डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है, इसलिए ऐसे कपड़े पहने जो बदन को पूरी तरह ढकें।
ये भी जानें
-डेंगू के उपचार के लिए कोई खास दवा या वैक्सीन नहीं है, बुखार उतारने के लिए पैरासिटामोल ले सकते हैं।
-एस्प्रीन या इबुब्रेफेन का इस्तेमाल स्वयं न करें तथा डॉक्टर की सलाह लें।
-डेंगू के हर रोगी को प्लेटलेट्स की आवश्यकता नहीं पड़ती। चिकित्सक से संपर्क करें।
-किसी भी प्रकार का बुखार होने पर रक्त की जांच अवश्य करवाएं, ताकि बुखार की किस्म का पता चल सके और उसी बुखार का इलाज किया जा सके।
30 हजार गृह कार्य कार्ड वितरित
डेंगू की रोकथाम के लिए जनपद के सरकारी स्कूलों में तकरीबन 30 हजार गृह कार्य कार्ड वितरित किए गए हैं। वेक्टर जनित रोग अधिकारी सुभाष जोशी ने डेंगू-चिकनगुनिया जागरूकता कार्ड को स्कूली बच्चों के माध्यम से उपयोग किए जाने की जानकारी दी। बताया कि स्कूली बच्चों के लिए गृह कार्य के रूप में एक जागरूकता संदेश कार्ड तैयार किया गया है। जिसे कक्षाध्यापक की ओर से बच्चों को होमवर्क के तौर पर दिया जाना है।
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