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मुख्यधारा से जुड़ने में ही मतदाताओं ने दिखाई समझदारी

नगर निगम ऋषिकेश के वार्ड संख्या तीन दुर्गा मंदिर से जुड़े पार्षद पद के चुनाव कहने को भले ही छोटे हो मगर यह बढ़ा संदेश देने वाला रहा है। यहां के मतदाताओं में मुख्य चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था। नगर निगम में छोटी सरकार भाजपा की बनने के बाद यहां के मतदाताओं ने मुख्यधारा के साथ जुड़ने में ही अपनी भलाई समझी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 06:54 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 06:54 PM (IST)
मुख्यधारा से जुड़ने में ही मतदाताओं ने दिखाई समझदारी
मुख्यधारा से जुड़ने में ही मतदाताओं ने दिखाई समझदारी

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :

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नगर निगम ऋषिकेश के वार्ड संख्या तीन दुर्गा मंदिर से जुड़े पार्षद पद के चुनाव कहने को भले ही छोटे हो मगर यह बढ़ा संदेश देने वाला रहा है। यहां के मतदाताओं में मुख्य चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया था। नगर निगम में छोटी सरकार भाजपा की बनने के बाद यहां के मतदाताओं ने मुख्यधारा के साथ जुड़ने में ही अपनी भलाई समझी। कई मायनों में यह चुनाव नगर निगम की छोटी सरकार के कामकाज पर क्षेत्र की जनता की मोहर माना जा रहा है।

नगर पालिका परिषद से नगर निगम बनने के बाद सात माह पूर्व जब चुनाव हुए थे तो दुर्गा मंदिर और चंद्रेश्वर नगर क्षेत्र से जुड़े वार्ड संख्या तीन के मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी को दरकिनार कर कांग्रेस प्रत्याशी रीना गुप्ता के सिर जीत का सेहरा बांधा था। उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद यहां उपचुनाव कराया गया। नगर निगम के महापौर पद पर भाजपा की अनिता ममगाई काबिज है। भाजपा संगठन सूत्रों की माने तो प्रियंका यादव को प्रत्याशी घोषित कराने में महापौर अनीता ममगाई और पूर्व दायित्व धारी संदीप गुप्ता की अहम भूमिका रही है। टिकट आवंटन को लेकर मंडल अध्यक्ष चेतन शर्मा पूर्व में ही स्पष्ट कर चुके हैं कि प्रत्याशी चयन में निर्धारित प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी मगर संगठन से प्रियंका यादव को चुनाव चिह्न आवंटित होने के बाद संगठन अभियान में शामिल हुआ। उधर विधानसभा अध्यक्ष के साथ विवाद के बाद भाजपा संगठन ने दायित्व धारी भगतराम कोठारी को विधानसभा क्षेत्र में सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने पर तीन महीने का प्रतिबंध लगाया था। मगर कोठारी पूरे समय भाजपा प्रत्याशी के चुनाव अभियान में शामिल रहे। भाजपा संगठन के भीतर इस चुनाव परिणाम पर काफी लोगों की निगाहें जमी थी। कई लोगों का मानना था कि यह चुनाव नगर निगम में महापौर और छोटी सरकार के कामकाज की भी परीक्षा होंगे। इस परीक्षा में छोटी सरकार परिणाम घोषित होने के बाद सफल रही है। बड़ी बात यह है कि सात माह पूर्व करीब डेढ़ सौ मतों से भाजपा प्रत्याशी को हराने वाली क्षेत्र की जनता ने इसी प्रत्याशी को 356 मतों से जिताया है। इसके पीछे बड़ा कारण यही माना जा रहा है कि यहां के लोग नगर निगम बोर्ड के गठन के बाद मुख्यधारा से अलग नहीं होना चाहते। यह वार्ड वैसे भी सड़क, पानी, जल भराव आदि कई समस्याओं से प्रभावित रहता है। चुनाव परिणाम आने के बाद नगर निगम के भीतर कांग्रेस के पार्षदों की संख्या 10 से घटकर नौ हो गई है और भाजपा के पार्षदों की संख्या 14 से बढ़कर 15 हो गई है। जबकि एक दर्जन निर्दलीय पार्षद भाजपा की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। अब देखना यह है कि नगर निगम की छोटी सरकार और महापौर किस रूप में वार्ड संख्या तीन के मतदाताओं का जीत के बाद आभार जताते हैं।


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