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रामगंगा जलाशय में सैलानी उठा सकेंगे नौकायन का लुत्‍फ, पढ़िए पूरी खबर

कार्बेट टाइगर रिजर्व की जीवनदायिनी रामगंगा नदी पर बने रामगंगा बांध के जलाशय में सैलानी नौकायन का लुत्फ उठा सकेंगे।

By Edited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 10:10 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 02:54 PM (IST)
रामगंगा जलाशय में सैलानी उठा सकेंगे नौकायन का लुत्‍फ, पढ़िए पूरी खबर
रामगंगा जलाशय में सैलानी उठा सकेंगे नौकायन का लुत्‍फ, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोशिशें रंग लाईं तो कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) की जीवनदायिनी रामगंगा नदी पर बने रामगंगा बांध के जलाशय में सैलानी नौकायन का लुत्फ उठा सकेंगे। इस सिलसिले में पार्क के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव को प्रस्ताव भेजा है। इसके अलावा उन्होंने सीटीआर में पर्यटकों का दबाव कम करने के मद्देनजर रामनगर में 'रिगोड़ा पर्यटन जोन' नाम से नया पर्यटक जोन बनाने के लिए भी अनुमोदन मांगा है। इसके बनने पर आमडंडा से छोटा पनोद के मध्य दैनिक सफारी हो सकेगी। चतुर्वेदी ने कहा कि ईको टूरिज्म के तहत इन दोनों प्रस्तावों के आकार लेने से जहां राजस्व में बढ़ोतरी होगी, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी मिल सकेंगे।

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अविभाजित उत्तर प्रदेश में रामगंगा बांध परियोजना के लिए सीटीआर ने 8998.15 हेक्टेयर भूमि उप्र सिंचाई विभाग को हस्तांतरित की थी। इसमें 8142.96 हेकटेयर भूमि में बांध का जलाशय है और यह सीटीआर की कालागढ़ रेंज पटेरपानी ब्लाक में 20 किमी लंबे क्षेत्र में फैला है। अब इस जलाशय को ईको टूरिज्म के तहत विकसित करने का प्रस्ताव पार्क निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव को भेजा है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि इस नए ईको टूरिज्म स्थल के विकसित होने पर एनटीसीए द्वारा निर्धारित कोर क्षेत्र की सीमा का उल्लंघन भी नहीं होगा। इस जलाशय में ईको टूरिज्म के तहत नौकायन कराने से यह सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। साथ ही वन एवं वन्यजीवों के प्रति लोगों को जागरूक करने में मदद मिलेगी। प्रस्ताव में कहा गया है कि ईको टूरिज्म में प्रयुक्त होने वाली नौकाओं से वहां किसी भी प्रकार का पर्यावरणीय प्रदूषण न हो, इसके लिए नवीनतम तकनीक से सुसज्जित नौकाओं को प्रयोग में लाया जाएगा। एक नौका की लागत महज तीन लाख के करीब होगी। प्रस्ताव में नौकायन के लिए नियम व शर्तों के साथ ही समय आदि का जिक्र भी किया है।

एक अन्य प्रस्ताव में पार्क निदेशक ने सीटीआर में पर्यटकों के बढ़ते दबाव के मद्देनजर रिंगोड़ा पर्यटन जोन विकसित करने पर भी जोर दिया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि ईको टूरिज्म के तहत बिजरानी पर्यटन जोन के रिंगोड़ा चौड़ वाले क्षेत्र को अलग कर आमडंडा बीट, बिजरानी रेंज, गर्जिया बीट, सर्पदुली रेंज के क्षेत्रों को जोड़कर रिंगोड़ा पर्यटन जोन विकसित किया जा सकता है। इससे आमडंडा से छोटा पनौद के मध्य दैनिक सफारी हो सकेगी। कहा गया है कि इस ईको पर्यटन क्षेत्र के निर्माण में 45.50 लाख की लागत आएगी।

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