अतिक्रमण से बचाने को 53 वेटलैंड का होगा संरक्षण
प्रदेश सरकार अतिक्रमण व दोहन के खतरे से जूझ रहे 53 वेटलैंड के संरक्षण पर कार्य करेगी। इसके लिए दो समिति व एक उपसमिति का गठन किया गया है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश सरकार अतिक्रमण व दोहन के खतरे से जूझ रहे 53 वेटलैंड के संरक्षण पर कार्य करेगी। इसके लिए दो समिति व एक उपसमिति का गठन किया गया है। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव की अध्यक्षता में गठित पहली समिति क्षेत्रों का सर्वेक्षण कर इस की रिपोर्ट तैयार करेगी। जनपद स्तर पर उप समिति बनाई जाएगी। यह समिति अपने जनपदों में आने वाले वेटलैंड का सर्चे करते हुए रिपोर्ट राज्य स्तरीय समिति को सौंपेगी। इसके आधार पर एक विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाएगी जो सरकार के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाएगी। दूसरी समिति ग्रीवांस समिति होगी जो वेटलैंड के संरक्षण के कार्य के दौरान सामने आने वाले मामलों की सुनवाई करेगी।
सोमवार को प्रदेश के वन एवं वन्य जीव मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में उत्तराखंड राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की राज्य स्तरीय समिति की बैठक हुई। बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड में 178 वेटलैंड क्षेत्र हैं। इनमें 81 क्षेत्र वनभूमि के अधीन सुरक्षित हैं। 44 क्षेत्र नदियों के आसपास हैं। 53 क्षेत्र ऐसे हैं जो खुले क्षेत्र हैं और जिनके संरक्षण की जरूरत है। इस पर वन मंत्री ने इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि वेटलैंड के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए प्रयोगों को गंभीरता से लेते हुए इसे दूरदर्शिता के साथ अमल में लाया जाए। प्रयास रहे कि इससे लोगों की जीविका पर कोई अनावश्यक असर न पड़े और आने वाली पीढि़यों के लिए पर्यावरण सुरक्षित रहे। बैठक में इसके लिए वन विभाग द्वारा अलग से बजट प्रावधान करने पर भी सहमति बनी।
बैठक में सचिव पर्यावरण अरविंद सिंह ह्यांकी, सदस्य सचिव उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एसपी सुबुद्धि, उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव एसएस रसायली के अलावा प्राधिकरण के सदस्य उपस्थित थे।