Move to Jagran APP

उत्तराखंड में नॉन क्लीनिकल सीट में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे डॉक्टर

प्रदेश के सरकारी-गैर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी की नॉन क्लीनिकल सीट पर दाखिले के लिए डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 23 May 2019 09:04 AM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 08:19 AM (IST)
उत्तराखंड में नॉन क्लीनिकल सीट में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे डॉक्टर
उत्तराखंड में नॉन क्लीनिकल सीट में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे डॉक्टर

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के सरकारी-गैर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पीजी की नॉन क्लीनिकल सीट पर दाखिले के लिए डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। जिन विभागों की पीजी सीटों में प्रैक्टिस नहीं है, उनमें डॉक्टर ऐडमिशन लेना ही नहीं चाहते। स्थिति यह कि क्लीनिकल सब्जेक्ट की सीट खाली न होने पर, नॉन क्लीनिकल की सीट पर ऐडमिशन लेते जरूर हैं, पर क्लीनिकल की सीट मिलने पर यह सीट छोड़ देते हैं। 

loksabha election banner

इस बार भी मेडिकल कॉलेजों में पीजी की 45 सीटें खाली रह गई हैं। यह स्थिति तब है जब नीट-पीजी में क्वालिफाइंग माक्र्स में छह पर्सेंटाइल की कटौती कर दी गई थी। जिसके बाद पुन: पंजीकरण व विशेष काउंसिलिंग भी आयोजित की गई। 

विगत वर्षों में देखा गया है कि नॉन क्लीनिकल विभागों में अधिकांश पीजी की सीटें रिक्त चल रही हैं। एक तरफ जहां इसमें दाखिले को रुझान कम हुआ है, सरकारी कॉलेजों में बांड के कारण भी डॉक्टर छिटक रहे हैं। बांड की शर्तों के कारण वह नॉन क्लीनिकल विषयों में प्रवेश नहीं लेते। विगत कई वर्षों से सीटें रिक्त होने के कारण संसाधनों की हानि हो रही है। 

बांड को लेकर व्यवहारिक कठिनाइयां भी हैं। इसके तहत किसी भी डॉक्टर को पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्र में अनिवार्य सेवा देनी होती है। नॉन क्लीनिकल विषय में पीजी करने के बाद दुर्गम क्षेत्रों में कुछ ज्यादा करने की संभावना नहीं रहती। मसलन बायोकैमिस्ट्री या एनाटॉमी में पीजी के बाद सुविधाओं के लिहाज से अभावग्रस्त किसी क्षेत्र में सेवा देना, डॉक्टर को नहीं भाता। 

ऐसे में नॉन क्लीनिकल विभागों के परास्नातक पाठ्यक्रमों में बांड के प्राविधानों में शिथिलता लाने का प्रस्ताव था, पर यह जाने कहां धूल फांक रहा है। निजी कॉलेजों की बात करें तो वहां अत्याधिक फीस एक बड़ा फैक्टर है। बेशक यह फीस क्लीनिकल से काफी कम है, पर डॉक्टर फिर भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। 

एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विवि के कुलसचिव प्रो. विजय जुयाल ने बताया कि नीट-पीजी में मॉपअप राउंड समेत चार राउंड की काउंसिलिंग आयोजित की गई थी। पर इस सबके बावजूद राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में 10, हिमालयन इंस्टीट्यूट में 17 व एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज में 18 सीटें रिक्त रह गई हैं। इनमें ज्यादातर सीटें नॉन क्लीनिकल विषय की हैं। 

बाज नहीं आ रहे डॉक्टर, बाहर से करा रहे जांच

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के चिकित्सक बाज नहीं आ रहे। ïउन्हें न अस्पताल प्रशासन का खौफ है, न शासन-प्रशासन का डर। वह मरीजों को धड़ल्ले से बाहर जांच कराने भेज रहे हैं। निजी लैब की पर्ची ही नहीं, वहां पहुंचने का नक्शा तक उन्हें थमा दे रहे हैं। ताज्जुब यह कि इस तरह के प्रकरण बार-बार सामने आ रहे हैं पर कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ नहीं हुआ। 

मामला कारगी निवासी भोलादत्त से जुड़ा है। बुधवार को वह सर्जन के पास पहुंचे। भोलादत्त ने उनसे परामर्श किया तो डॉक्टर ने उन्हें एफएनएसी टेस्ट कराने की सलाह दी। इस पर उन्होंने पूछा कि दून अस्पताल में यह टेस्ट होता है तो उत्तर चौंकाने वाला था। 

उन्होंने कहा कि होता तो है, लेकिन यहां ठीक तरह से नहीं होगा। लिहाजा, आप बाहर से टेस्ट करा लें। डॉक्टर से लैब का पता पूछा तो उन्होंने फट से एक पर्ची निकालकर दे दी, जिस पर लैब तक पहुंचने का नक्शा भी छपा हुआ था। यहां तक तो बात ठीक थी, लेकिन डॉक्टर साहब तो इससे भी आगे बढ़ गए। कहने लगे कि एक बार यह पर्ची दिखाओगे तो वो समझ जाएंगे कि मैंने भेजा है। 

अब शायद अस्पताल के चिकित्सक भी समझ गए हैं कि बातें चाहे कितनी ही हो जाएं, जांच आगे नहीं बढ़ेगी। इस मामले में भी जब उच्चाधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने फिर जांच कराने की बात कही। दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने कहा कि वे उस डॉक्टर से जवाब तलब करेंगे। जरूरत पड़ी तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

यह भी पढ़ें: मेडिकल कालेजों में बढेंगी सीटें, सवर्ण आरक्षण के तहत किया जाएगा इजाफा

यह भी पढ़े: आर्थिक आरक्षण पर कॉलेजों में स्थिति साफ नहीं, जानिए वजह

यह भी पढें: बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति-प्रोन्नति तय समय पर, पढ़िए पूरी खबर

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.