लेखपालों का कार्य बहिष्कार, 12 हजार दाखिल खारिज फंसे; भवनों के नक्शे अटके
उत्तराखंड में लेखपालों के कार्य बहिष्कार से 12 हजार से अधिक दाखिल खारिज के आवेदन लंबित पड़े हैं। अकेले देहरादून में ही 3400 से अधिक दाखिल खारिज नहीं हो पाए हैं।
देहरादून, जेएनएन। लेखपालों के कार्य बहिष्कार से प्रदेशभर में 12 हजार से अधिक दाखिल खारिज के आवेदन लंबित पड़े हैं। अकेले देहरादून में ही 3400 से अधिक दाखिल खारिज (म्यूटेशन) नहीं हो पाए हैं। इसके बिना मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) में लोगों के भवनों के नक्शे भी पास नहीं हो पा रहे हैं, जिसके चलते उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
एमडीडीए में नक्शे दाखिल करने की व्यवस्था ऑनलाइन चल रही है और इसके लिए दाखिल खारिज जरूरी है। इसके बिना नक्शा स्वीकार ही नहीं किया जा रहा। ऐसे में लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा है और इसके बाद भी उन्हें लाभ नहीं मिल पा रहा। इस मामले में उत्तराखंड इंजीनियर्स एंड आर्किटेक्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डीएस राणा का कहना है कि एमडीडीए चाहे तो लोगों को राहत देने के लिए बीच का रास्ता निकाल सकता है। जो भी विक्रेता है, उसके दाखिल खारिज के साथ आवेदक शपथ पत्र दे सकता है। जरूरत पड़े तो इससे पूर्व के दाखिल खारिज की सूची भी संलग्न कराई जा सकती है। ऐसा करने से नक्शा पास कराने वाले लोगों को राहत मिल सकेगी।
नहीं मिल पा रहा ऋण
एमडीडीए में नक्शा पास न होने के चलते लोगों को बैंक से भी ऋण नहीं मिल पा रहा। ऐसे में लेखपालों के कार्य बहिष्कार के चलते लोगों को तरह-तरह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और उनके घर का सपना साकार होने में व्यवधान पैदा हो रहा है।
डॉ. आशीष श्रीवास्तव (एमडीडीए, उपाध्यक्ष) का कहना है कि दाखिल खारिज की व्यवस्था इसलिए की गई है कि लोगों को धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाया जा सके और किसी दूसरे के भूखंड पर कोई नक्शा न पास करा सके। यदि दाखिल खारिज में किसी तरह की फौरी राहत भी दी जाती है तो उसका दुरुपयोग भी संभव है। फिर भी देखा जाएगा कि जनहित में क्या सबसे बेहतर किया जा सकता है।
लंबित दाखिल खारिज की स्थिति
- देहरादून---------3400
- हरिद्वार---------3200
- ऊधमसिंहनगर---2900
- नैनीताल---------250
वन टाइम सेटेलमेंट में नहीं हो पा रहा सेटेलमेंट
जिन अवैध निर्माण को वैध बनाने के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम (ओटीएस) शुरू की गई थी, उनमें से अधिकतर की स्थिति ऐसी नहीं है कि उन्हें आसानी से पास कर दिया जाए। यही कारण है कि 31 मार्च को समाप्त हो चुकी स्कीम में 452 नक्शे दाखिल होने के बाद भी अब तक महज 56 नक्शे ही पास किए जा सके हैं। 95 फीसद नक्शे ऐसे हैं, जिन पर एमडीडीए ने तमाम तरह की आपत्ति लगा रखी हैं। लंबे समय तक भी ऐसे नक्शे आपत्ति दूर करने के लिए आर्किटेक्ट के स्तर पर लंबित हैं और उन्हें सूझ नहीं रहा कि किस तरह उनमें बिल्डिंग बायलॉज (भवन उपविधि) के अनुरूप सुधार किया जा सके।
वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम में अवैध निर्माण को वैध बनाने के लिए सेटबैक से लेकर मार्गों की चौड़ाई आदि के मानकों को शिथिल किया गया था। इसके तहत 31 मार्च तक आवेदन किया जाना था। इस दौरान एमडीडीए में 357 आवासीय व 95 कमर्शियल नक्शे दाखिल किए गए। 56 नक्शों को एमडीडीए ने पास कर दिया, जबकि 35 निरस्त कर दिए गए। शेष बचे 361 नक्शों में से 21 पर कार्रवाई चल रही है और 340 नक्शों पर विभिन्न तरह की आपत्ति लगाई गई है।
आपत्ति का निस्तारण उन संबंधित आर्किटेक्ट के स्तर पर किया जाना है, जिनके माध्यम से नक्शे दाखिल किए गए हैं। स्थिति यह है कि करीब एक माह बाद भी आपत्तियों का निस्तारण नहीं किया जा सका है। ऐसा नहीं है कि अभियंताओं के स्तर पर जुगत नहीं की जा रही, लेकिन मानकों में ढील देने के बाद भी आ रही कठिनाई बताती है कि निर्माण में कुछ ज्यादा ही झोल है। इस मामले में एमडीडीए उपाध्यक्ष का कहना है कि स्कीम में मानकों को जितना शिथिल किया गया है, उसके बाद अवैध निर्माण में किसी तरह का समझौता नहीं किया जा रहा है। जो कंपाउंडिंग मैप मानकों के अनुसार पाए जाएंगे, उन्हें ही स्वीकृति जारी की जाएगी। नियमों का कड़ाई से पालन करने के लिए अभियंताओं को भी निर्देश जारी किए गए हैं।
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