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महिलाओं का सुंदरता से ज्यादा आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना जरूरी :लक्ष्मी

महिलाओं के लिए चेहरा उतना जरूरी नहीं होता जितनी आत्मनिर्भरता। यह बात महिलाएं जितनी जल्दी समझ जाएं उतना उनके लिए फायदेमंद साबित होती है। ऐसा ऐसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल ने कहा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 09:39 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 09:39 PM (IST)
महिलाओं का सुंदरता से ज्यादा आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना जरूरी :लक्ष्मी
महिलाओं का सुंदरता से ज्यादा आत्मनिर्भरता पर ध्यान देना जरूरी :लक्ष्मी

जागरण संवाददाता, देहरादून : महिलाओं के लिए चेहरा उतना जरूरी नहीं होता जितनी आत्मनिर्भरता। यह बात महिलाएं जितनी जल्दी समझ जाएं, उतना उनके लिए फायदेमंद साबित होती है। ऐसा ऐसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल ने कहा।

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बुधवार को राजपुर रोड स्थित एक होटल में आयोजित कार्यक्रम में सम्मलित होने पहुंची ऐसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल ने मीडिया के समक्ष महिलाओं के प्रति अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए सुंदर चेहरे से ज्यादा आत्मनिर्भर होना जरूरी होता है। 15 साल की उम्र में जब मुझ पर ऐसिड से अटैक किया गया। तब एक समय था जब मैने जीने की आस छोड़ दी थी, लेकिन मेरे परिवार ने मेरा ढाढस बांधा और मुझे शान से समाज में जीने के लिए प्रेरित किया। उस दौरान मुझे लगता था कि एक लड़की के लिए चेहरा ही सब कुछ होता था, लेकिन मै गलत थी, अब मेरे लिए चेहरा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को कहीं भी किसी कार्य में खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए। लोग क्या कहेंगे, क्या सोचेंगे इस सबसे आगे बढ़कर महिलाओं को सकारात्मक सोच के साथ कार्य की शुरुआत करनी चाहिए। परिवार के सदस्यों को भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में योगदान देना चाहिए। मुश्किल समय में महिलाओं का साथ देना चाहिए। ऐसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित फिल्म छपाक बन रही है। जो आगामी जनवरी में रिलीज होने जा रही है, हालांकि उन्होंने फिल्म पर बात करने से इन्कार किया। खुद को पुरुषों से कम नहीं आंकना चाहिए : पातरलापल्ली स्वाति

नौसेना में ले. कमांडर के पद पर तैनात पातरलापल्ली स्वाति ने कहा कि आज के समय में कोई ऐसा काम नहीं जिसे करने में महिलाएं सक्षम नहीं। जो महिलाएं किसी कार्य को करने में खुद को असहज समझती हैं, उन्हें अपने जेंडर को भूल कर आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जब हमने पहली बार बोट में कदम रखा था तब हमारे अधिकारियों ने हमें सख्त हिदायत दी थी कि अपने जेंडर को भूलकर इसमें कदम रखो। महिलाओं को किसी से मदद की उम्मीद का त्याग कर खुद अपनी मदद करनी चाहिए। मेरा बचपन से डॉक्टर बनने का सपना था, लेकिन अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए मैने नौसेना को चुना। उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।


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