निर्मल गंगा की ओर कदम, 250 जगह पर होगी मॉनिटरिंग
पीसीबी ने गंगा की निर्मलता को गंगा के उद्गम गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा और उसकी सहायक नदियों में 250 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता जांचने का लक्ष्य रखा है।
देहरादून, [केदार दत्त]: राष्ट्रीय नदी गंगा की निर्मलता के लिए राज्य में अब तेजी से कदम उठाए जाएंगे। इस कड़ी में उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने गंगा के उद्गम गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा और उसकी सहायक नदियों में 250 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता जांचने का लक्ष्य रखा है। अभी तक केवल 29 स्थानों पर ही इस प्रकार की व्यवस्था अमल में है। आने वाले दिनों में बड़े पैमाने पर मॉनीटरिंग होने से गंगा स्वच्छता को और प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे।
गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है तो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भी गंगा को लेकर खासा सजग है। इस सबका नतीजा है कि उत्तराखंड समेत अन्य राज्य भी गंगा और उसकी सहायक नदियों को निर्मल बनाने की दिशा में सक्रिय हुए हैं। उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक गंगा का पानी पीने योग्य है, जबकि हरिद्वार में स्थिति ठीक नहीं है। पीसीबी के आंकड़े बताते हैं कि हरिद्वार में कुछेक स्थानों पर गंगा के पानी में फीकल कॉलीफार्म (मल-मूत्र) की मात्रा भी पाई गई है।
हालांकि, नमामि गंगे परियोजना के तहत नालों की टैपिंग से लेकर उत्तरकाशी से हरिद्वार तक गंगा किनारे बसे शहरों, कस्बों से निकलने वाले सीवर के निस्तारण को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) पर फोकस किया गया है। इनमें कुछ कार्य हो चुके हैं, जबकि कुछ अभी होने बाकी हैं। इस बीच अब पीसीबी ने भी अपनी सक्रियता बढ़ाई है और उसने गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में पानी की गुणवत्ता जांच स्थलों की संख्या बढ़ाने का निश्चय किया है। इसे 250 तक ले जाने का लक्ष्य है।
पीसीबी के मुख्य पर्यावरण अधिकारी एसएस पाल के मुताबिक नमामि गंगे परियोजना में पीसीबी को उत्तराखंड में तीन लैब मिली हैं। इसके तहत देहरादून में सेंट्रल लैब स्थापित करने का कार्य तेजी से चल रहा है, जो इस माह के आखिर अथवा सितंबर मध्य तक अस्तित्व में आ जाएगी। रुड़की और काशीपुर में भी लैब तैयार होनी है।
उन्होंने बताया कि इन लैब के अस्तित्व में आने से पानी के नमूनों की जांच माइक्रो लेवल तक हो सकेगी। इस सबके मद्देनजर ही पीसीबी ने लक्ष्य रखा है कि गंगा व उसकी सहायक नदियों में बड़े पैमाने पानी की मॉनीटरिंग की जाए। इस क्रम में ढाई सौ स्थल चिह्नित किए जाएंगे। इस बारे में पीसीबी अधिकारियों से जानकारी मांगी जा रही है। उन्होंने कहा कि गंगा व उसकी सहायक नदियों के जल की गुणवत्ता के अधिक से अधिक आंकड़े मिलने के बाद इसके आधार पर कदम उठाए जा सकते हैं।
अभी यह है मॉनीटरिंग की व्यवस्था
नदियां-----------------स्थलों की संख्या
अलकनंदा-----------------10
गंगा------------------------09
भागीरथी-------------------02
मंदाकिनी-------------------02
धौली------------------------01
नंदाकिनी------------------01
पिंडर-----------------------01
सुसवा-----------------------01
सौंग------------------------01
नयार------------------------01
यह भी पढ़ें: 500 साल के अंतराल में दोबारा आ सकता है आठ रिक्टर स्केल का भूकंप
यह भी पढ़ें: केदारनाथ में 8000 साल पहले पड़ती थी भीषण गर्मी, तेजी से पिघलते थे ग्लेशियर