Move to Jagran APP

एनजीटी का कड़ा रुख, कालागढ़ सिंचाई कॉलोनी से बेदखल होंगे इतने परिवार

कार्बेट नेशनल पार्क के कोर जोन में स्थित कालागढ़ बांध परियोजना की उप्र सिंचाई विभाग की सिंचाई कॉलोनी को खाली कराने की दिशा में सरकार सक्रिय हुई है।

By Edited By: Published: Sun, 27 May 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 08:57 PM (IST)
एनजीटी का कड़ा रुख, कालागढ़ सिंचाई कॉलोनी से बेदखल होंगे इतने परिवार
एनजीटी का कड़ा रुख, कालागढ़ सिंचाई कॉलोनी से बेदखल होंगे इतने परिवार

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के कड़े रुख के बाद अब कार्बेट नेशनल पार्क के कोर जोन में स्थित कालागढ़ बांध परियोजना की उप्र सिंचाई विभाग की सिंचाई कॉलोनी को खाली कराने की दिशा में सरकार सक्रिय हुई है। इस कॉलोनी में ऐसे 964 परिवार चिह्नित किए गए हैं, जो वहां अवैध रूप से रह रहे हैं। एनजीटी ने पिछले साल सितंबर में एक साल के भीतर अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे, मगर यह मुहिम परवान नहीं चढ़ पाई। अब राज्य सरकार इस संबंध में अतिरिक्त समय की मांग एनजीटी से करने जा रही है। साथ ही अतिक्रमण हटाने के लिए कार्ययोजना तय करने को 28 मई को बैठक बुलाई गई है। इसमें उप्र सिंचाई विभाग के अफसरों को भी आमंत्रित किया गया है।

prime article banner

कालागढ़ में रामगंगा पर कालागढ़ बांध का निर्माण होने के साथ ही उप्र सिंचाई विभाग ने वहां आवासीय कॉलोनी भी बनाई। उत्तराखंड बनने के बाद कालागढ़ बांध उत्तराखंड के हिस्से में आ गया। करीब 1600 आवास वाली इस कॉलोनी में बड़ी संख्या में लोग वर्षों से रहते आ रहे हैं। इसके चलते पार्क के कोर जोन में वन्यजीवन पर पडऩे वाले खलल को देखते हुए कॉलोनी खाली कराने की मांग उठी। प्रकरण सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 2013 में अदालत ने कॉलोनी को खाली कराने के आदेश दिए। हालांकि, बाद में यह प्रकरण एनजीटी के सुपुर्द कर दिया गया।

दरअसल, कार्बेट पार्क को वापसी योग्य भूमि से अतिक्रमण हटाकर इसे उप्र से कार्बेट को सौंपा जाना है। इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड का पक्ष सुनने के बाद एनजीटी ने 21 सितंबर 2017 को आदेश जारी कर एक साल के भीतर अवैध कब्जे हटाने के आदेश दिए थे। इस क्रम में उत्तराखंड ने पड़ताल कराई तो बात सामने आई कि इस कॉलोनी में 964 परिवार अवैध रूप से रह रहे हैं।

इस मामले में पौड़ी के डीएम की ओर से प्रस्तुत आख्या पर एनजीटी ने बीती 24 मई को सुनवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने को ठोस कार्रवाई न पर गहरा असंतोष जाहिर किया। साथ ही मुख्य सचिव उत्तराखंड से अपेक्षा की गई कि वह पिछले साल नियत की गई समय सीमा की अवशेष अवधि में अतिक्रमण हटाना सुनिश्चित कराएं। इसके लिए बाकायदा बचनबद्धता शपथ पत्र देने को भी कहा गया।

अब 28 मई को अतिक्रमण हटाने के लिए ठोस कार्ययोजना तय करने को बैठक बुलाई गई है। इसमें उप्र के प्रमुख सचिव सिंचाई को भी बुलाया गया है। वन सचिव अरविंद ह्यांकी ने इस बारे में प्रमुख सचिव सिंचाई उप्र को पत्र भेजा है। इसमें आग्रह किया गया है कि यदि प्रमुख सचिव सिंचाई की किन्हीं कारणों से उपस्थिति संभव न हो तो उप्र शासन अथवा सिंचाई विभाग के किसी वरिष्ठ सक्षम अधिकारी को बैठक में भेजने को निर्देशित किया जाए।

यह भी पढ़ें: प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर एनजीटी का बड़ा फैसला, होगी ये कार्रवार्इ

यह भी पढ़ें: दून की नहीं रही शुद्ध आबोहवा, सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शामिल

यह भी पढ़ें: गैस सिलेंडर पर भी स्वच्छता का संदेश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.