उत्तराखंड में सहकारिता और डेयरी में तेलंगाना-कर्नाटक मॉडल
उत्तराखंड सरकार अब राज्य में सहकारिता और डेयरी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए इन तेलंगाना-कर्नाटक राज्यों का मॉडल अपनाने की तैयारी कर रही है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: तेलंगाना में सहकारिता की जान कही जाने वाली प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियां (पैक्स) ऑनलाइन हो चुकी हैं तो कर्नाटक में रोजाना 70 लाख लीटर से अधिक दुग्ध उत्पादन हो रहा है। यही नहीं, मार्केटिंग की भी वहां पुख्ता व्यवस्था की है। यह सब संभव हो पाया है सहकारिता और डेयरी क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने से। इस सबको देखते हुए उत्तराखंड सरकार भी राज्य में सहकारिता और डेयरी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए इन राज्यों का मॉडल अपनाने की तैयारी कर रही है।
असल में कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों ने सहकारिता व डेयरी के क्षेत्र में देशभर में मिसाल कायम की है। इसके उलट उत्तराखंड में स्थिति खासी नाजुक हैं। सहकारिता की ही बात करें तो यहां 1035 सहकारी समितियां हैं, जिनमें से 759 पैक्स हैं। पैक्स में भी 359 लंबे समय से घाटे में चल रही हैं। वहीं, दुग्ध उत्पादन को लें तो वर्तमान में रोजाना 1.86 लाख लीटर दूध का ही उत्पादन हो पा रहा है। दुखद पहलू ये रहा कि गुजरे 17 सालों में राज्य की सरकारों ने पैक्स और दुग्धोत्पादन पर गंभीरता से ध्यान देने की जहमत नहीं उठाई।
अलबत्ता, मौजूदा सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने के मद्देनजर इस दिशा में कदम उठाने की ठानी है। तेलंगाना और कनार्टक का मॉडल अपनाने को इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। इस सिलसिले में अध्ययन के लिए राज्य के सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.धन सिंह रावत इन राज्यों के दौरे पर हैं। दोनों क्षेत्रों में इन प्रदेशों ने जिस तरह तरक्की हासिल की, ठीक उसी तरह का मॉडल यहां भी अपनाया जाएगा।
कर्नाटक में मौजूद राज्यमंत्री डॉ. रावत ने 'दैनिक जागरण' से फोन पर बातचीत में बताया कि तेलंगाना और कनार्टक ने डेयरी व सहकारिता के क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़े हैं। बड़े पैमाने पर किसान इससे लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक ने विपणन सोसायटी के क्षेत्र में भी बेहतर कार्य किया है। उन्होंने बताया कि दोनों राज्यों में डेयरी व सहकारिता के लिए जो मॉडल अपनाया गया, उसका गहनता से अध्ययन किया जा रहा है। इसे उत्तराखंड में भी उतारने को प्रभावी रणनीति बनाई जाएगी।
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