आयुर्वेद विश्वविद्यालय में कार्य परिषद की बैठक टली
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक आखिरकार स्थगित
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक आखिरकार स्थगित करनी पड़ी। कार्य परिषद के ही कुछ सदस्यों ने बैठक शुरू होते ही इसे लेकर एतराज जता दिया। उन्होंने कहा कि यह विधायी परंपराओं और नियमों के अनुरूप नहीं है। अंतिम दिनों में निर्णय लेने का अधिकार कुलपति को नहीं है। जिस कारण बैठक टाल दी गई।
दैनिक जागरण ने 11 दिसम्बर के अंक में कार्य परिषद पर उपजे विवाद को लेकर खबर प्रकाशित की थी। जिसमें बताया गया कि यह बैठक बस रस्मअदायगी भर है। इसकी सूचना कार्य सभी सदस्यों को पंद्रह दिन पूर्व एजेंडे के साथ भेजना आवश्यक होता है। लेकिन विवि प्रशासन ने आनन-फानन में चार दिसम्बर को पत्र भेज कार्य समिति की बैठक बुला ली। 12 दिसम्बर को बैठक बुलाई गई और 15 को कुलपति अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। इसके अलावा कार्य परिषद के गठन पर भी कुछ आपत्तियां थीं। यह कहा गया कि इसमें सदस्यों का मनोनयन भी ठीक ढंग से नहीं हुआ है। कार्य समिति के गठन की प्रक्रिया पूर्व कुलपति ने शुरू की थी। जिसमें आयुष शिक्षा के समुचित विकास व संतुलन के लिए विवि में संचालित आयुर्वेद व होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति से एक प्राचार्य और एक आचार्य को उनकी योग्यता, अनुभव और वरीयता के आधार पर नामित किया गया था। जिसका नोटिफिकेशन वर्तमान कुलपति ने कुलसचिव रहते किया था। लेकिन इसमें नियमविरुद्ध बदलाव कर दिया गया। इसमें उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा किसी कार्यरत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नामित करना होता है जो अभी नहीं हुआ है। मंगलवार को कार्य समिति के ही कुछ सदस्यों ने इन बिंदुओं पर अपनी आपत्ति दर्ज की।
कुलसचिव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ ने बताया कि कुछ सदस्यों का कहना था कि तीन दिन बाद ही कुलपति अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। अंतिम वक्त पर वह नीतिगत निर्णय नहीं ले सकते। ऐसे में बैठक का औचित्य नहीं है। इस स्थिति में बैठक स्थगित कर दी गई।