जलवायु परिवर्तन हिमालय के भविष्य पर खतरा
जागरण संवाददाता, देहरादून : उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) की ओर से 'अत
जागरण संवाददाता, देहरादून :
उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) की ओर से 'अतिसंवेदनशील हिमालयी क्षेत्र और चुनौतियां' विषय पर हुए व्याख्यान में बुद्धिजीवियों ने हिमालय की मौजूदा स्थिति पर गहन मंथन किया। वक्ताओं ने कहा कि आज हिमालयी राज्यों के सामने धरोहर रूपी हिमालय को बचाने की बड़ी चुनौती बनी हुई है। यह भी माना कि विकास के कारण भौतिक स्वरूपों में हो रहा परिवर्तन संकट का संकेत है।
सोमवार को विज्ञान धाम में इंटरनेशनल माउंटेन डे के अवसर पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य अतिथि पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि हिमालय हमारा जीवनदाता ही नहीं, संास्कृतिक उद्गम स्थल भी है। कहा कि आज मनुष्य आर्थिक स्वार्थ के लिए प्रकृति का दोहन कर रहा है। आधुनिक उपकरणों के माध्यम से पर्यावरण को दूषित किया जा रहा है। हमें विकास की कीमत पर हिमालय को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए। उन्होंने इस दिशा में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी पर भी चिंता जताई। यूकॉस्ट के महानिदेशक राजेंद्र भंडारी ने कहा कि आज वायु प्रदूषण हिमालय को सर्वाधिक प्रभावित कर रहा है। प्रकृति के स्वभाव में निरंतर आ रहा परिवर्तन भी इसी का दुष्परिणाम है। बाद में पहाड़ की मुख्य समस्या पलायन पर भी चिंतन-मनन किया गया। इस अवसर पर एचएनबी विवि के पूर्व कुलपति एनएन पुरोहित, पूर्व मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल, डॉ. आरएस टोलिया, विनीता शाह, विभा पुरी दास, एसके दास, विनीत पांगती आदि उपस्थित रहे।