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टीबी उन्मूलन: 14 प्रतिशत मरीज अब भी स्वास्थ्य विभाग की पहुंच से दूर

टीबी के 14 फीसद मरीजों तक स्वास्थ्य विभाग अब भी नहीं पहुंच पाया है। यह बात गुरुवार को हुई कार्यशाला में सामने आई।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 20 Dec 2019 05:10 PM (IST)Updated: Fri, 20 Dec 2019 05:10 PM (IST)
टीबी उन्मूलन: 14 प्रतिशत मरीज अब भी स्वास्थ्य विभाग की पहुंच से दूर
टीबी उन्मूलन: 14 प्रतिशत मरीज अब भी स्वास्थ्य विभाग की पहुंच से दूर

देहरादून, जेएनएन। टीबी के 14 फीसद मरीजों तक स्वास्थ्य विभाग अब भी नहीं पहुंच पाया है। यह बात गुरुवार को राज्य टीबी नियंत्रण सेल और उत्तरांचल प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में हुई कार्यशाला में सामने आई। वक्ताओं ने वर्ष 2024 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य पर जोर देते हुए कहा कि यह मीडिया की सक्रिय भूमिका से ही संभव हो पाएगा। 

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हरिद्वार बाईपास स्थित एक होटल में हुई इस कार्यशाला का विषय था टीबी उन्मूलन में मीडिया की भागीदारी और भूमिका। इसमें एनएचएम के मिशन निदेशक डॉ. युगल किशोर पंत ने कहा कि टीबी का नाम सुनते ही लोग खौफ में आ जाते हैं, लेकिन सही इलाज से यह पूरी तरह ठीक हो सकती है। इसकी मुफ्त जांच और इलाज दोनों उपलब्ध हैं।  कई बार मरीज थोड़ा ठीक महसूस होने पर इलाज बीच में ही छोड़ देतेहैं। इससे उन्हें दोबारा टीबी हो जाती है। इसके अलावा घर में या पड़ोस में इसके मरीजों की उपस्थिति से भी टीबी होने का खतरा रहता है। इसे जागरूकता के जरिये ही दूर किया जा सकता है। 

प्रेस क्लब अध्यक्ष विकास धूलिया ने मीडिया कर्मियों को संयमित रिपोर्टिंग के बारे में बताने के साथ ही विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों से अपेक्षा की कि वह सही तथ्य मीडिया तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य में मीडिया सकारात्मक भूमिका निभाता रहेगा। 

एनएचएम की निदेशक डॉ. अंजलि नौटियाल ने कहा कि विभाग अभी केवल 86 प्रतिशत मरीज खोज पाया है। उन्होंने बताया कि टीबी का जीवाणु शरीर के अंदर बिना अपने लक्षण दिखाए कई वर्ष तक निष्क्रिय अवस्था में बना रह सकता है। अनुकूल परिस्थिति मिलने पर यह फिर सक्रिय हो जाता है। रहन-सहन की परिस्थितियां, पोषण, प्रतिरक्षण क्षमता आदि भी टीबी की कारक हैं। 

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स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने बताया कि टीबी को पूरी तरह परास्त करने के लिए जीत (ज्वाइंट एफर्ट फॉर एलिमिनेशन ऑफ ट्यूबरक्लोसिस) का फार्मूला अपनाया गया है। इसके तहत प्रदेश के कोने-कोने में टीबी के मरीजों तक पहुंचकर उन्हें सही इलाज मुहैया कराया जाएगा। निजी चिकित्सकों को भी टीबी के इलाज की मॉनीटरिंग से जोड़ा गया है। यूसैक्स के अपर परियोजना निदेशक डॉ. अर्जुन सेंगर ने कहा कि टीबी को लेकर काफी सामाजिक भ्रांतियां फैली हुई हैं। राज्य क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. वर्गीश काला ने टीबी उन्मूलन के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया। वर्तमान में मरीजों को 500 रुपये पोषण भत्ता दिया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन आइईसी अधिकारी अनिल सती ने किया। 

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