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उत्‍तराखंड : संरक्षित क्षेत्रों में वन भूमि हस्तांतरण के 12 प्रस्तावों के लिए केंद्र पर टिकी निगाहें

विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में संरक्षित क्षेत्रों की 10 किलोमीटर की परिधि में आने वाले वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े 12 प्रस्तावों के लिए राज्य की नजरें केंद्र पर टिकी हुई हैं। दरअसल ये प्रस्ताव राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजे गए हैं ।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 07:09 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 07:09 PM (IST)
उत्‍तराखंड : संरक्षित क्षेत्रों में वन भूमि हस्तांतरण के 12 प्रस्तावों के लिए केंद्र पर टिकी निगाहें
संरक्षित क्षेत्रों में वन भूमि हस्तांतरण के 12 प्रस्तावों के लिए केंद्र पर टिकी निगाहें।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में संरक्षित क्षेत्रों की 10 किलोमीटर की परिधि में आने वाले वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े 12 प्रस्तावों के लिए राज्य की नजरें केंद्र पर टिकी हुई हैं। दरअसल, ये प्रस्ताव राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजे गए हैं और वहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही इनमें आगे कदम बढ़ाए जा सकेंगे। इन प्रस्तावों में जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए दी जाने वाली वन भूमि का प्रस्ताव भी है। देहरादून वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाला यह क्षेत्र राजाजी टाइगर रिजर्व से सटा है।

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संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य व कंजर्वेशन रिजर्व) के 10 किलोमीटर की परिधि में किसी भी प्रयोजन के लिए वन भूमि हस्तांतरण के लिए पहले राज्य वन्यजीव बोर्ड से प्रस्ताव पारित करना जरूरी होता है। फिर इसे अनुमोदन के लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजा जाता है। राज्य वन्यजीव बोर्ड की 29 जून को हुई बैठक में संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत और इनकी 10 किमी की परिधि में आने वाले वन भूमि हस्तांतरण से जुड़े 17 प्रस्ताव रखे गए थे। इनमें से जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए वन भूमि देने समेत अन्य मामलों से संबंधित 12 प्रस्ताव राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड को भेजे गए। दो प्रकरण इस योग्य नहीं पाए गए, जबकि रवासन नदी में खनिज चुगान के लिए अवधि विस्तार से जुड़े मसले को शासन को भेजा गया है। बताया गया कि एक प्रकरण कार्यदायी संस्था के स्तर पर और एक ओएफसी से सबंधित निस्तारित किए जा चुके हैं।

अब राज्य की नजरें उन 12 प्रस्तावों पर टिकी हैं, जो राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के स्तर पर विचाराधीन हैं। हालांकि, हाल में हुई राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में इन पर विचार होने की संभावना थी, मगर राज्य से जुड़े प्रस्तावों पर चर्चा नहीं हो पाई थी। ऐसे में अब राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की जल्द होने वाली बैठक पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने उम्मीद जताई कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की आगामी बैठक में इन प्रकरणों का निस्तारण हो जाएगा।

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